डूबेंगे पर हटेंगे नहीं : सरदार सरोवर बांध विस्थापितों ने प्रदेश सरकार को किया आगाह


विश्व पर्यावरण दिवस के दिन नर्मदा नदी, उसके जैव विविधता और संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया नर्मदा घाटी के निवासियों ने।
देश भर से आये सैंकड़ों समर्थकों के साथ रैली फॉर द वैली का हुआ आगाज़।

बड़वानी / सेमलदा, मध्य प्रदेश, 05 जून, 2017 : आज खलघाट से शुरू हुई रैली फॉर द वैली में पिछोड़ी गाँव की श्यामा बहन ने हुंकारते हुए रैली को संबोधित कर आगाज़ किया, उसने सीधे और साफ़ शब्दों में कहा “हम किसी सरकार के दया के मोहताज नहीं है और सत्ता के नशे में चूर सत्ताधारी ये समझ ले। हम खुद अपने जमीन पर खेती करते हैं और माँ नर्मदा के किनारे सदियों से बसे हुए हैं। माँ नर्मदा ने हमे ज़िन्दगी दी है और हमने अपनी माँ को सदियों से साफ़ जीवंत रखा हुआ है। हम अपनी माँ से अलग नहीं हो सकते और कोई ताकत ऐसा करने में सफल नहीं हो सकती। डूबेंगे पर हटेंगे नहीं, यही बात हम तीस साल से कहते आये हैं और अभी भी कायम हैं।“ आज विश्व पर्यावरण दिवस के दिन रैली फॉर द वैली पूरे देश से शामिल हुए सैंकड़ों समर्थकों और हजारों की संख्या में उपस्थित नर्मदा घाटी के लोगों के साथ खलघाट से शुरू हुई।

 मध्य प्रदेश सरकार के पुनर्वास स्थलों को तैयार करने की नाकामी, बार बार डूब के स्तर को इधर उधर कर प्रभावितों की संख्या में बदलाव करने के प्रयास और पिछले एक महीने से जबरन बेदखली के धमकियों के बाद नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने देश भर के लोगों को रैली फॉर द वैली के लिए आवाहन किया। एनबीए ने यह बिलकुल साफ़ कह दिया है कि वो किसी भी शर्त पर गाँव खाली करने वाले नहीं हैं और अहिंसक रूप से सरकार का हर तरह से सामना करने को तैयार हैं, सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती हैं और बिना सम्पूर्ण और न्यायसंगत पुनर्वास के कोई नर्मदा घाटी निवासी नहीं हटने वाला हैं। घाटी के लोगों पिछले तीन दशक से अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और आगे तीन दशक भी लड़ सकतें हैं। मेधा पाटकर ने इसमें जोड़ते हुए सरकार के मंसूबे को सबके सामने लाते हुए कहा, जो सरकार तीस साल में 88 पुनर्वास स्थल नहीं बना पायी, आज उनके हाँथ कौन सी जादू की छड़ी लगी है जो यह काम दो महीने में 31 जुलाई से पहले कर देगी।

अधिकारिओं द्वारा गाँव को जबरन खाली कराने की यह समयसीमा बिलकुल बेबुनियाद और गैर कानूनी है।
डॉ. सुनीलम ने कहा, आज स्तिथि बिलकुल युद्ध जैसी हो गयी है न्याय और हक के लिए। हम सरकार द्वारा नियोजित सामूहिक हत्या के सामने चुप नहीं बैठ सकते, हमारे सामने दो लाख लोगों की बात है और यह युद्ध सिर्फ नर्मदा वासियों की नहीं बल्कि हम सभी की हैं। सभी को साथ आना होगा और घाटी के निवासियों के हक के लिए उनके कंधे से कन्धा मिलाकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनौती देते हुए उनको बाहर आकर सभी 88 पुनर्वास स्थलों को देखने के लिए बोला और वहां के लोगों से पूछने के लिए बोला कि वो घाटी से जाने को तैयार हैं या नहीं? क्या लोग पुनर्वास स्थलों में रह सकते हैं या नहीं?
अखिल भारतीय किसान सभा से आये केरल के पूर्व विधायक कृष्णा प्रसाद ने संघर्ष को पूरा समर्थन देते हुए कहा, यह समय आ गया हैं जब सभी को नर्मदा घाटी के साथ खड़ा होना हैं। एनबीए ने संघर्ष की राजनीति और विकास को परिभाषित किया हैं और इस संकट की घड़ी में हम सभी को साथ आकर इन फासीवादी ताकतों को हराना होगा।

सभा को डॉ. सौम्य दत्ता व चिन्मय मिश्र ने भी संबोधित किया और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नियोजित भीषण पर्यावरणीय विनाश के बारे में बताया, क्यूंकि डूब सिर्फ नर्मदा घाटी के लोगों को ही नहीं बल्कि लाखों पेड़ और भरे पूरे जंगलों को डुबो देगी। अवैध रेत खनन और बांधों की श्रृंखला ने पहले ही नर्मदा को मृत्यु दे दी हैं। अब झूठे नर्मदा सेवा यात्रा से नर्मदा नदी की रक्षा नहीं हो सकती हैं, अगर रक्षा करनी ही है तो वह सिर्फ नर्मदा घाटी के निवासी ही कर सकते हैं जिन्होंने सदियों से नदी और नदी घाटी सभ्यता को सुरक्षित रखा हुआ हैं।
पूर्व सांसद राजू खेरी और कुक्षी के विधायक सुरेन्द्र सिंह बघेल ने भी सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्हें इस फैसले की घड़ी में नर्मदा घाटी के लोगों के साथ खड़ा रहने की अपील की गयी। रैली में देश भर से कई शिक्षण संस्थान से विद्यार्थी शामिल हुए जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयु, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, एफटीआईआई, एचसीयु, जामिया मिलिया इस्लामिया, आईआईटी, सलसाबील केरल व अन्य थे। गुजरात से नीता महादेव, अशोक भाई, हंसमुख भाई, जिकु भाई, चेन्नई से शिव कुमार, केरल से शिक्षक सैअंबा, एनएपीएम दिल्ली से राजेन्द्र रवि, भूपेंद्र सिंह रावत, नान्हू गुप्ता व मधुरेश कुमार, दिल्ली समर्थक समूह से संजीव कुमार, आशिमा व उनके अन्य सदस्य नर्मदा घाटी के समर्थन में रैली में शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत प्रार्थना से करते हुए खल्बुर्ज घाट, खलघाट से नाव रैली से हुई जिसमें लोगों ने अपने हक और न्याय के लिए लड़ने का संकल्प लिया।

रैली फॉर द वैली मध्य प्रदेश में धार, कुक्षी, बड़वानी, झाबुआ के गाँव, महाराष्ट्र में नंदुरबार, व गुजरात में नर्मदा जिला से होकर जायेगी। सभी गाँव में समर्थन देते हुए, सरकार के पुनर्वास के खोखले दावों और अधिकारियों द्वारा विस्थापितों की संख्या के साथ की जा रही छेड़छाड़ की पोल खोल करेगी। क्यूंकि सरकार बिना किसी आधार के प्रभावितों की संख्या घटा रही है और उन्हें उनके हक और अधिकार से वंचित करने जा रही है। आज करीब 40000 परिवार से सरकार संख्या घटाकर 18000 पर ले आयी हैं जो पुनर्वास के हकदार होंगे और डूब में आ रहे हैं। यह सरासर गलत हैं और सुप्रीम कोर्ट के 08 फरवरी 2017 व उससे पहले के फैसलों की भी अवमानना हैं।

नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि वो भूल कर भी बिना नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उल्लेखित सम्पूर्ण पुनर्वास किये बिना पुलिस बल के प्रयोग से लोगों को जबरन गाँव से हटाने की कोशिश ना करे। आन्दोलन अहिंसक और शांति से सरकार के हिंसक रूप का सामना हर तरह से करने को तैयार है और संघर्ष में जुड़ने के लिए सभी देश वासियों से भी अपील करता है।

राहुल यादव, देवराम कनेरा, देवेन भाई, मुकेश भगोरिया, उमा, आकिब जावेद, व हिमशी सिंह
संपर्क : 9818905316
Share on Google Plus

jitendra chahar के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें