14 फरवरी 2017 को गुजरात के वीरामगाम, बावला व सनन्द, आदि 32 गावों के करीब 5000 किसानों द्वारा अपनी नर्मदा नहर के पानी को उद्योगों को दिए जाने के विरोध में गांधीनगर से निकाले जा रहे मार्च पर पुलिस बल ने बर्बर लाठीचार्ज किया। रैली में शामिल महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा गया। गुजरात के विकास मॉडल का दावा भरने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घटना पर ठीक उसी प्रकार चुप्पी बनाए बैठे हैं जैसे वह देश भर के तमाम शोषण उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाए बैठे रहते हैं। हम यहां पर आपके साथ इस घटना पर अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति साझा कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता हिंमाशु कुमार का विडियो जो हम आपके साथ साझा कर रहे हैं उसे देख कर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार प्रशासन ने पुलिस के जरिए शांतिपूर्वक अपने अधिकार की मांग कर रहे किसानों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के साथ क्रूरता बरती।
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने गुजरात के सनन्द क्षेत्र में विरोध कर रहे हजारों किसानों पर किए गए लाठीचार्ज और आंसूगैस हमले की कड़ी निन्दा करते हुए कहा है कि किसान अपनी नर्मदा नहर के पानी को उद्योगों के लिए हस्तांतरित करने का विरोध कर रहे थे और इसके लिए गांधीनगर तक रैली निकाल रहे थे। गुजरात के इस क्षेत्रा के गावों में सिंचाई व पेयजल की भयंकर समस्या है, फसलें सूखी हुई हैं और गुजरात सरकार ने गांव के लिए बनाई गई सनन्द नहर का पानी बड़े कारपोरेटों को दे दिया है।
जहां श्री मोदी इस सवाल पर चुप्पी साधे हुए हैं वहीं उनकी पार्टी और सरकार न केवल किसानों के पानी को उनसे छीन रही है बल्कि शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को भी छीन रही है।
14 फरवरी को वीरामगाम, बावला व सनन्द, आदि 32 गावों के करीब 5000 किसानों ने ट्रैक्टरों से गांधीनगर की ओर एक मार्च निकालना शुरु किया। डीएसपी आरवी अंसारी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल ने उन्हें नल सरोवर पर रोका और महिलाओं, बच्चों समेत उन सब पर बर्बर लाठीचार्ज कर दिया। जब उन्होंने पत्थर चलाने शुरु किए तो आंसू गैस दागकर उन्हें बिखेर दिया। घायल किसानों का 16 सिविल अस्पतालों में इलाज कराया जा रहा है। परन्तु डीएसपी आर वी अंसारी का कहना है कि इस घटना में केवल 7 पुलिसकर्मी घायल हुए और किसी नागरिक को कोई चोट नहीं आई। उन्होंने करीब 20 किसानों को विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किया है।
नर्मदा नहर का निर्माण गांव की सिंचाई व पेयजल के लिए किया गया था पर किसानों को वंचित करके अब इसका पानी इलाके में स्थापित बड़े उद्योगों को दिया जा रहा है।
यह विवाद दिखाता है कि गुजरात व केन्द्र दोनों सरकारें कारपोरेट पक्षधर व किसान विरोधी नीतियां लागू कर रही हैं। यह नीति है जनता के संसाधनों को उनकी जमीन व पानी समेत उनसे छीनकर बड़े कारपोरेटों को भारी मुनाफा कमाने के लिए सा®पा जाए।
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने इस सवाल पर अखिल भारतीय विरोध संगठित करने की अपील की है। एआईकेएमएस ने मांग की है कि घटना में शामिल पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया जाए और पूरी घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराई जाए।
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