कूडनकुलम आंदोलन निर्णायक दौर में


कूडनकुलम बेशक राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियों से उतर गया हो, लेकिन ज़मीन पर भारी दमन के बावजूद विरोध जारी है. इडिंतकराई और आस-पास के गाँव प्रतिरोश का केंद्र बने हुए हैं और यह लड़ाई राजनीतिक, कानूनी और आंदोलन के तीनों स्तरों पर लड़ी जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट में कूडनकुलम परमाणु प्लांट को लेकर केस की सुनवाई जारी है और आंदोलन की तरफ से प्लांट की सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभावों, आजीविका पर खतरा और दुर्घटना की दशा मंए मुआवजा जैसे गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. सुरक्षा और मुआवजे के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब माँगा है.


इस बीच इस आंदोलन के क्रम में फर्जी केसों में बंद आंदोलनकारियों को रिहा करने और हज़ारों लोगों पर देशद्रोह जैसे मुकदमे दायर करने के खिलाफ मानवाधिकार संगठनों और व्यापक समाज की चिंता भी सामने आई है. आगामी 31 दिसंबर को देश भर से सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और कलाकारों का एक दल कूडनकुलम पहुँचने वाला है. स्थानीय लोगों के जुझारू संघर्ष का नए साल में जश्न मनाने और जेल में बंद लोगों तक समर्थन का सन्देश पंहुचाने का काम इस यात्रा के माध्यम से किया जाएगा.

सरकार ने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की 24 जनवरी को होने वाली दिल्ली यात्रा के दौरान परमाणु संयंत्र को शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब इस योजना को शायद आगे बढ़ाकर जनवरी में कर दिया गया है. देश के लोकतंत्र और क़ानून की धज्जियां उड़ाकर और आम जन के सरोकारों को टाक पर रखकर यह विनाशक संयत्र शुरू किया जा रहा है, जिसका चौतरफा विरोध होना चाहिए.
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