राज्य सभा सांसद अली अनवर ने आज संसद में कूडनकुलम का मुद्दा उठाते हुए वहाँ के आंदोलनकारियों को रिहा करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र रूप से देश की ऊर्जा-नीति पर बहस हो और भारत के लिए नाभिकीय ऊर्जा की प्रासंगिकता पर पुनर्विचार हो. पेश है अली अनवर का बयान :
फुकुशिमा दुर्घटना के बाद प्रधानमंत्री के इस वायदे के बावजूद कि भारत में अणुऊर्जा परियोजनाओं को लोगों की सहमति के बगैर नहीं लागू किया जाएगा, कूडनकुलम में सरकारी समितियाँ आंदोलनरत लोगों से मिलीं तक नहीं और स्थानीय लोगों को संयंत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभावों से संबंधित दस्तावेज तथा जानकारी भी मुहैया नहीं कराई गयी.
कूडनकुलम में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी की अवहेलना हुई है. 55 हज़ार से ज़्यादा प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं और हज़ारों लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है.
सरकार, परमाणु ऊर्जा कार्पोरेशन और विभाग अणुऊर्जा में निहित खतरों की अनदेखी करते रहे हैं. इसमें कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ, चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसे हादसों की संभावना और हज़ारों सालों तक जहरीले रहने वाले परमाणु कचरे जैसे मुद्दे शामिल हैं.
कूडनकुलम संयंत्र में इलाके की भूगर्भीय हलचलों, आपातकालीन स्थिति के लिए अपर्याप्त कूलिंग सिस्टम तथा शीतक जल की स्वतंत्रा आपूर्ति का अभाव जैसी गहरी स्थानीय समस्याएं हैं. अणुऊर्जा कार्पोरेशन ने खुद अणुऊर्जा नियमन बोर्ड के नियमों – जैसे 1.5 किमी का शून्य-जनसंख्या क्षेत्र और 16 किमी के दायरे में ज़रूरी आपातकालीन निकासी ड्रिल इत्यादि – का खुला उल्लंघन किया है.
ऊर्जा नीति के सवाल पर जलवायु-परिवर्तन, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक कीमत, और बिजली के न्यायपूर्ण बंटवारे की नज़र से देश में कोई स्वतंत्र और समेकित चर्चा नहीं हुई है. सरकारी और गैर-सरकारी विशेषज्ञों, नागरिक समूहों और जनप्रतिनिधिओं को एक साथ लाकर भारत की ऊर्जा जरूरतों और इसमें अणुऊर्जा की प्रासंगिकता पर चर्चा होनी चाहिए.
फुकुशिमा दुर्घटना के बाद प्रधानमंत्री के इस वायदे के बावजूद कि भारत में अणुऊर्जा परियोजनाओं को लोगों की सहमति के बगैर नहीं लागू किया जाएगा, कूडनकुलम में सरकारी समितियाँ आंदोलनरत लोगों से मिलीं तक नहीं और स्थानीय लोगों को संयंत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभावों से संबंधित दस्तावेज तथा जानकारी भी मुहैया नहीं कराई गयी.
कूडनकुलम में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी की अवहेलना हुई है. 55 हज़ार से ज़्यादा प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं और हज़ारों लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है.
सरकार, परमाणु ऊर्जा कार्पोरेशन और विभाग अणुऊर्जा में निहित खतरों की अनदेखी करते रहे हैं. इसमें कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ, चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसे हादसों की संभावना और हज़ारों सालों तक जहरीले रहने वाले परमाणु कचरे जैसे मुद्दे शामिल हैं.
कूडनकुलम संयंत्र में इलाके की भूगर्भीय हलचलों, आपातकालीन स्थिति के लिए अपर्याप्त कूलिंग सिस्टम तथा शीतक जल की स्वतंत्रा आपूर्ति का अभाव जैसी गहरी स्थानीय समस्याएं हैं. अणुऊर्जा कार्पोरेशन ने खुद अणुऊर्जा नियमन बोर्ड के नियमों – जैसे 1.5 किमी का शून्य-जनसंख्या क्षेत्र और 16 किमी के दायरे में ज़रूरी आपातकालीन निकासी ड्रिल इत्यादि – का खुला उल्लंघन किया है.
ऊर्जा नीति के सवाल पर जलवायु-परिवर्तन, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक कीमत, और बिजली के न्यायपूर्ण बंटवारे की नज़र से देश में कोई स्वतंत्र और समेकित चर्चा नहीं हुई है. सरकारी और गैर-सरकारी विशेषज्ञों, नागरिक समूहों और जनप्रतिनिधिओं को एक साथ लाकर भारत की ऊर्जा जरूरतों और इसमें अणुऊर्जा की प्रासंगिकता पर चर्चा होनी चाहिए.
परमाणु उर्जा पर यदि हम नजर डाले तो दुनियाँ में यह कहीं भी सफल नहीं हो सका हैं ,फुकुशिमा दूर्घटना के पश्चात जापान ने तो अपने देश से शत प्रतिशत परमाणु उर्जा रिएक्टरों को बंद भी कर दिया हैं,आज जापान परमाणु उर्जा मुक्त देश हैं ,परमाणु का जो विनाशकारी लीला का अनुभव जापान ने किया है ,दुनियां में किसी ने भी ऐसा नहीं किया ,परमाणु उर्जा रिएक्टरों पर जापान को गर्व था कि सबसे ज्यादा सुरक्षित जापान की तकनिकी हैं !परन्तु फुकुशिमा की घटना ने तो एक झटके में उसका गर्व मिटि्ट में मिला दिया ,अब उन्होंने संकल्प लिया कि हम भले ही अंधेरे में रह लेंगे, परन्तु परमाणु उर्जा किसी भी किंमत पर यहां नहीं लगाऐंगे । ऐसी देश भक्ति अपने देश के प्राणी मात्र के लिए प्रेम, दुनियां में मिशाल के तौर पर हम ले सकते हैं। दूसरी ओर हम भोपाल गैस कांड के दोषी एण्डरसन को अमेरिका के डर से बाहर भेज देते हैं ,बिना किसी जांच पडताल के प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी समस्त परमाणु उर्जा रिएक्टर सुरक्षित हैं ,यह दावा जापान भी तो करता था !!
जवाब देंहटाएंभातर में उर्जा का वैकल्पिक व्यावस्था करना चाहिए, परन्तु जिद्दी सरकार को तर्क से कोई मतलब नहीं हैं, उसे तो देश को बरबाद करने में मजा आ रहा हैं ,अत: देश वासियों के हित में राज्य सभा के सांसद अली अनवर ने जो सवाल उठाया है वह
जायज और ज्वलंत है, देशवासियों को कूडनकुलम ही नहीं देश के कहीं भी परमाणु उर्जा रिएक्टर लगाने की प्रस्ताव हो खुलकर विरोध करना चाहिए और विरोध तब तक ,जब तक रिएक्टकर का प्रस्ताव वापस न हो जाए ।