नर्मदा बांध विस्थापितों का बेमियादी उपवास नर्मदा तट पर जारी



मेधा पाटकर एवं विस्थापितों का बेमियादी उपवास नर्मदा तट पर जारी
जंतर मंतर पर सामूहिक उपवास नर्मदा घाटी के विस्थापितों के
सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के समर्थन में

बड़वानी/नईदिल्ली। मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाए जाने से प्रभावित होने वाले परिवारों का पुनर्वास नहीं किए जाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर का नर्मदा घाटी में बेमियादी उपवास जारी है। अनिश्चितकालीन उपवास नोवें दिन प्रवेश कर गया है और अभी भी 12 नर्मदा घाटी के डूब प्रभावित मेधा पाटकर के साथ अनवरत गैर क़ानूनी डूब का विरोध करते हुए उपवास पर बैठे हैं।

नागरिक अधिकारों, सर्वोच्च न्यायलय, नर्मदा न्यायाधिकरण और राज्य् की पुनर्वास नीति का उल्लंघन करने वाली मध्य प्रदेश सरकार अब विधानसभा में गलत जानकारी देकर सदन और प्रदेश को गुमराह कर रही है। डूब क्षेत्र में स्थित धार्मिक स्थलों के बारे में गलत जानकारी देकर इन धार्मिक, सांस्कृतिक धरोहरों को डुबोने का षड़यंत्र किया जा रहा है। सरकार के इस कृत्य से लोगों की धार्मिक भावनाएँ आहत हुई है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कुक्षी के विधायक सुरेन्द्र सिंह ’हनी’ बघेल के तारांकित प्रश्न क्रमांक 971 के जवाब में सरकार ने डूब क्षेत्र के धार्मिक स्थलों के बारे में गलत जानकारी देकर सदन की अवमानना कर प्रदेश की जनता को गुमराह किया है। आश्चर्यजनक है कि सरकार द्वारा दी गई इस जानकारी में डूब क्षेत्र की एक भी मस्जिद का जिक्र नहीं है। साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग से संबंधित धार्मिक स्थलों को भी नजरअंदाज किया गया है।

उधर, चिखलदा में स्कूल के बच्चों ने शिक्षा के अधिकार के तहत नर्मदा घाटी में हजारों स्कूल, जो डूबेंगे तथा पुनर्वास स्थलों पर स्कूलों के अभाव के कारण जो भविष्य पर असर पड़ेगा, के खिलाफ पूरे गाँव में रैली निकाली। प्रधानमंत्री और प्रदेष सरकार के ’बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ के नारे को याद दिलाते हुए रैली में उपस्थित सभी लड़कियों ने कहा कि सरकार हमें जवाब दे इतनी बेटियों के भविष्य को क्यों डूबा रही है ? धरना स्थल पर उपस्थित धार कलेक्टर श्रीमान शुक्ला ने बच्चों को कहा कि स्कूल बंद करने जैसा कोई कदम सरकार नहीं उठाएगी और पुनर्वास स्थल पर स्कूल बनाने की व्यवस्था की जाएगी।

नर्मदा घाटी के लोगों ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मंत्री लालसिंह आर्या के वक्तव्य, जिसमें उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर और बाहर से जुड़े आन्दोलन के समर्थक लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, के खिलाफ उनका और मध्य प्रदेश सरकार का पुतला जलाया। साथ ही यह सन्देश भी दिया कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने विकास की एक नई परिभाषा दी है और देश भर में बाँध बना कर बिना पुनर्वास विस्थापन की लड़ाई लड़ रहे लोगों को हिम्मत भी दी है। देश भर में नर्मदा घाटी में चल रहे संघर्ष के समर्थन में जन आन्दोलन धरना, जल सत्याग्रह व अन्य कार्यक्रम कर रहे हैं, नर्मदा बचाओ आन्दोलन द्वारा जो ऑनलाइन पेटीशन की गई है उसमें 29 देशों से समर्थन मिला है। सरकार अपनी कमियों और झूठ को छिपाने के लिए ऐसे पैतरे अपना रही है और घोषणाओं पर घोषणाएं कर लोगों को भ्रमित कर रही है। छॅक्ज् अवार्ड के अनुसार सरकार क्यों नहीं करती लोगों का पुनर्वास? क्यूँ नहीं किया उच्चतम न्यायलय के आदेश का पालन ?

उल्लेखनीय है कि मेधा पाटकर 27 जुलाई को बड़वानी के राजघाट के पास उपवास पर बैठीं। उसी शाम को वे नर्मदा नदी के दूसरे तट, जो कि धार जिले में आता है, चिखल्दा गांव पहुंचीं और वहीं उनका अनिष्चितकालीन उपवास जारी है। इसके पूर्व नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट स्थल को 27 जुलाई की अलसुबह प्रशासन ने तोड़कर गांधीजी के अस्थि कलश को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था। ज्ञात हो कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई 138 मीटर की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई से पहले डूब क्षेत्र में आने वाले मध्य प्रदेश के 192 गांवों और एक नगर के निवासियों का पुनर्वास करने के निर्देश दिए हैं।

मेधा पाटकर का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में गलत आंकड़े पेश किए और झूठी जानकारी दी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। बांध की ऊँचाई बढ़ने से मध्य प्रदेश का बड़ा हिस्सा डूब में आने वाला है, सरकार जहाँ पुनर्वास करने की बात कह रही है, वहाँ खानापूर्ति के लिए टिनशेड लगा दिए गए हैं। किसी तरह की सुविधा नहीं है।

मेधा का आरोप है, सरकार ने जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी है, लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। जिस तरह रात के अंधेरे में राजघाट को ध्वस्त किया गया, उसी तरह पुलिस डूब क्षेत्र में लोगों के मकान और गाँव खाली कराएगी।

नर्मदा घाटी में जैसे-जैसे डूब की स्थिति आ रही है प्रदेश में विधानसभा, जल संसाधन मंत्रालय के बाद अब संसद तक अपनी आवाज़ पहुँचाने नर्मदा घाटी के विस्थापित जंतर मंतर, दिल्ली पहुँच रहे हैं। यहाँ के लोगों को सच्चाई बताने और मध्य प्रदेश सरकार के लगातार दमनकारी रवैया से उसके संख्या के खेल और पुनर्वास के झूठ की पोल खोलने के लिए एकजुट हो रहे है। मध्य प्रदेश, गुजरात, व केंद्र सरकार नर्मदा घाटी के 40000 से अधिक परिवारों को बिना सम्पूर्ण पुनर्वास सरदार सरोवर बाँध के गेट्स बंद करके जलहत्या व जबरन बेदखली करने जा रही है।

नई दिल्ली में 3 अगस्त से जंतर मंजर पर नर्मदा घाटी से कमलू जीजी, कैलाश अवस्या के साथ देश के जाने- माने प्रबुद्धजन उपवास और उनके समर्थन में शामिल होंगे। इनमें योगेन्द्र यादव (स्वराज इंडिया), संदीप पाण्डेय (सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)), डॉ. सुनीलम (किसान संघर्ष समिति, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), आलोक अग्रवाल (आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय प्रवक्ता व मध्य प्रदेश अध्यक्ष) मुख्य है। इसके अलावा जस्टिस राजिंदर सच्चर, अरुणा रॉय (मजदूर किसान शक्ति संगठन), एनी राजा (अखिल भारतीय महिला फेडरेशन), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), कविता श्रीवास्तव (पीयूसीएल), सौम्या दत्ता (पर्यावरणविद व उर्जा विशेषज्ञ), फैजल खान (खुदाई खिदमतगार), भूपेंद्र सिंह रावत (जन संघर्ष वाहिनी), राजेन्द्र रवि (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) का समर्थन और उपस्थिति रहेगी।

साभार :  सप्रेस

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