12 दिन से अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों को दिया शिवराज सिंह ने जवाब : अनशन पर लाठी चार्ज, पुलिस हिंसा के बीच मेधा पाटकर सहित 4 अनशनकारी गिरफ्तार

मेधा पाटेकर जो कि जुलाई 27 से अनिश्चितकालीन अनशन पर थीं, उन्हें उनके अनशन के बारहवे दिन आज गिरफ्तार कर लिया गया | उनके अन्य ग्यारह साथियों में से पांच साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया एवं बाकि छ: साथियों ने अपना अनशन जारी रखा है | सूत्रों के अनुसार पुलिस लगभग २००० की तादाद में सुबह से ही अनशन स्थल पर जुट रही थी | थोड़ी देर बाद ही पुलिस ने तोड़ फोड़ चालू कर दी एवं अनशन स्थल पर शांतिपूर्ण ढंग से उपस्थित व्यक्तियों पर लाठी चार्ज करने लगी | इसी बीच मेधा पाटेकर के गिरफ़्तारी को रोकने की कोशिश करती हुई महिलाओं के साथ पुरुष सिपाही ज़ोर-ज़बरदस्ती करने लगे | उन्होंने स्टेज और पंडाल को भी नष्ट कर दिया | यह बहुत ही शर्म की बात है की पिछले ११-१२ दिनों में सरकार ने अनशनकारियो के साथ एक बार भी वार्ता स्थापित करने की कोशिश नहीं की | नर्मदा बचाओ आन्दोलन इसकी निंदा करता है और मेधा जी अपना अनशन जरी रखेंगीं |

मेधा जी की गिरफ़्तारी के ठीक पहले का संदेश, अगस्त 7, 2017 शाम 6 बजे

आज मध्य प्रदेश सरकार हमारे 12वें दिन अनशन पर बैठे हुए 12 साथियों को मात्र गिरफ़्तार करके जवाब दे रही हैं। ये कोई अहिंसक आंदोलन का जवाब नहीं है। मोदीजी के राज में शिवराज जी के राज में एक गहरा संवाद नहीं, जो हुआ उस पर जवाब नहीं, आकड़ों का खेल, कानून का उल्लंघन और केवल बल प्रयोग जो आज पुलिस लाकर और कल पानी लाकर करने की उनकी मंशा है। इसका उपयोग हम लोग इस देश में गाँधी के सपनों की हत्या मानते है, बाबा साहेब के संविधान को भी न मानने वाले, ये राज पर बैठे है।

और वह समाजों के, गायों के, किसानों के, मज़दूरों के, मछुआरों की कोई परवाह नहीं करते है। ये अब इस बात से स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने बंदूकों से हत्या की, और यहाँ जल हत्या करने की मंशा है इसलिए हम उनके बीच में आ रहे हैं ऐसा उनका मानना है। पहले अनशन तोड़ो और फिर बात करो, यह हम कैसे मंज़ूर कर सकते है?

एक बाजू मुख्यमंत्री खुद कह रहे है कि ट्रिब्यूनल का फैसला जो कानून है, उसका अमल पूरा हो चुका है। दुसरे बाजू बोल रहे है अनशन तोड़ने के बाद चर्चा करेंगे। इसके साथ जिन मुद्दों पर सब तो रख चुके है। तो अब यह चोटी पर जाना पड़ेगा, अहिंसक आंदोलन और जवाब समाज ने देना पड़ेगा। नर्मदा घाटी के लोगों पर बहुत कहार मचाने जा रहे हैं। प्रकृति साथ दे रही है, गुजरात पानी से लबालब है, यहां पानी नही भरा है। लेकिन कल क्या होगा कौन जाने?

12 अगस्त को मोदीजी ने अगर इस मुद्दे पर महोत्सव मनाया और जश्न मनाया और वह भी साधुओं के साथ और 12 मुख्यमंत्रियों के साथ, तो उनकी सरकार और उनकी पार्टी किस प्रकार से विकास को आगे ढकेलना चाह रही है। इस देश के कोने कोने में संघर्ष पर उतरे साथी कह रहे है, वही बात फिर अधोरिखित करते है। हम इतना ही चाहते है, कि 'नर्मदा से हो सही विकास, समर्थकों की यहीं है आस' - यह हमारा नारा आज केवल नर्मदा घाटी के लिए नहीं है, देश में कोई भी अब विस्थापन के आधार पर विकास मान्य न करें। विकल्प वही चुनेें।

यही हम चाहते हैं ।
मेधा पाटकर

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