बांगड़-बिड़ला सीमेंट फैक्ट्री के लिए नवलगढ़ में जबरन जमीन खाली कराएगी बीजेपी सरकार : 2371 दिनों से धरने पर बैठे है किसान


राजस्थान के नवलगढ़ जिले में किसान पिछले दस सालों से अपने क्षेत्र में लगने वाली तीन सीमेंट फैक्ट्रियों के विरुद्ध संघर्षरत है। गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए इस क्षेत्र की उपजाऊ जमीन को बंजर घोषित कर जमीन सीमेंट फैक्ट्रियों को दे कर किसानों के लिए जबरन मुआवजा घोषित कर दिया। जबकि इस क्षेत्र के किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन छोड़ना नहीं चाहते और वह पिछले दस सालों से नवलगढ़ किसान संघर्ष समिति के तहत संगठित होकर इस जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

इस मामले में नया मोड़ तब आया जब 20 फरवरी को जिले के कलेक्टर ने अधिकारियों को किसानों से जमीन किसी भी सूरत में खाली करवाने के आदेश दे दिए। कलेक्टर ने कहा कि यदि किसान समझाने पर न माने तो पुलिस की मदद से जमीन जबरन खाली करवाई जाए। कलेक्टर के इस आदेश से क्षेत्र के किसान भड़के हुए हैं। किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार जबरन जमीनें खाली करवाएगी तो किसान भी इसका कड़ा प्रतिरोध करेंगे। 23 फ़रवरी को भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति नवलगढ ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया है जिसमे किसानों ने एक बार फिर जमीन नहीं देने का वादा दोहराया । पेश है भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ की प्रेस विज्ञप्ति;

भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति नवलगढ से जुड़े किसानों की मिटिंग आज तहसील कार्यालय के सामने धरना स्थल पर केप्टन दीप सिंह गोठडा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें सैंकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया। बैठक को संयोजक के अलावा कैप्टन मोहनलाल, सीपीओ रामदेव सिंह, संजय बासोतिया, गोवर्धन सिंह निठारवाल, श्री राम डूडी, कैलाश यादव, श्री चंद डूडी, सतीश भींचर, श्री कांत पारीक, ओम प्रकाश ढाका, माम चंद दूत, चुन्नी लाल भूकर, पोकर सिंह झाझडिया, ऊमर फारूख खत्री, चिमन सिंह दूत, महिपाल सिंह तोगडां आदि ने सभा को संबोधित किया।

लगभग सभी वक्ताओं ने जिला कलेक्टर के द्वारा यह कहना कि जो किसान अपनी मर्ज़ी से सीमेंट कम्पनियों को जमीन नहीं देते हैं उनको पुलिस के द्वारा जबरन खाली कराई जायेगी कि जोरदार शब्दों में निंदा की। ओर मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी नवलगढ को ज्ञापन दिया जिसमें साफ उल्लेख किया गया है कि अगर बिना किसानों की सहमति के उनकी जमीन व घर जबरन छीनने की कोशिश की तो यहां जानमाल के नुकसान की पूरी संभावना है जिसके लिए स्वंय प्रसाशन जिम्मेवार होगा। समिति संयोजक ने कहा कि जिला कलेक्टर को किसानों की खुली मिटिंग लेकर आमने-सामने बात करनी चाहिए कि उनके क्या परेशानी है। ताकि दूध का दूध व पानी हो जाये क्यों इस तरह के हिटलर शाही फरमान जारी करके किसानों को डराया जा रहा है।

बैठक में भाग लेने वालों में महेंद्र सिंह खटकड, प्रकाश सोनी, करण सिंह, बिरबल भूकर, खमाणा राम सुंडा, अशोक यादव, कपिल दूत, भागीरथ मल ढाका, निवास कोली, सुमेर सिंह, पूरण मल रेप्सवाल, रामकुमार यादव, मुकेश डाबड, कुंभा राम, चिमना राम, हरलाल, तेज सिंह, बनवारी लाल ओला, रामेश्वर अधाणा, बालू राम झाझडिया, नंदकुमार, रामजीलाल पूनीयां, रतिराम डाबड, कृपाराम, अमरसिंह चाहर, रामोतार ओला, नारायण सिंह महला, दुर्गा राम, छोटू, मंगल चंद यादव, सुल्तान, मनेष ढाका आदि ने हिस्सा लिया। आनेवाले चार पांच दिनों में ही किसानों का शिष्टमंडल जिला कलेक्टर को मिलेगा व ज्ञापन देंगे।

कलेक्टर के इस आदेश का इलाके में काम कर रहे भाकपा माले, माकपा तथा अखिल भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधियों ने कड़ी निंदा करते हुए कहा यह राज्य सरकार की किसानों से जमीन छीन कर औद्योगिक घरानों को सौंप देने की नीति है। इसे जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। किसानों के इस संघर्ष में जनता चुप नहीं बैठेगी।


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