जुल्म के खिलाफ़ एकजुट हों किसान - डॉ. सुनीलम

भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन

27 अक्टूबर 2015, वाराणसी, उत्तर प्रदेश आज वाराणसी में आयोजित देश के सात राज्यों से आए विभिन्न जन आंदोलनों, किसान सभा, ट्रेड यूनियनों के संघर्षशील साथी “भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन के विरोध में राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए”। सभा में उपस्थित साथियों ने निम्न प्रस्ताव पारित किए-
1. राज्य सरकार के हिंसात्मक रवैये और कार्यवाही की सभा ने निंदा की और मांग की कि फौरी तौर पर सभी गिरफ्तार साथियों को रिहा करें।
2. सभा ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सजा की मांग की क्योंकि पूरे इलाके में खौफ का माहौल बना रखा है जिसके तहत बाहर से आए संगठनों के द्वारा कोई भी कार्यक्रम करना नामुमकिन है इसका विरोध करते हैं और अभी चल रही कानूनी प्रक्रिया के तहत हम लोकतांत्रिक हकों की बहाली करेंगे।

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वाराणसी, 26/10/2015; केंद्र की मोदी सरकार को जनांदोलनों के सतत संघर्षों के दबाव में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तीन बार वापस लेना पड़ा है। यह अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ रहे इस देश के किसानों की बड़ी कामयाबी है। सवाल उठता है कि इस देश के किसानों का सामूहिक सपना क्या है? क्या सिर्फ जमीन बचाने तक ही किसानों का सपना सीमित है या इसे व्यवस्था परिवर्तन तक भी ले जाना है?

यह सवाल यहां के सर्व सेवा संघ में आयोजित “भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन के विरोध में राष्ट्रीय सम्मेलन” में प्रसिद्ध किसान नेता डॉ सुनीलम ने उठाया। देश भर के जनसंगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इस सम्मेलन में इस बात पर विचार किया गया कि इलाहाबाद के करछना पावर प्लांट के नाम पर अधिग्रहित की गई भूमि का विरोध करने वाले ग्रामीणों के दमन से कैसे निपटा जाए और जेल में बंद ग्रामीणों को रिहा करवाने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाए।

सम्मेलन में किसान नेता रामाश्रय यादव ने किसान आंदोलन की व्यापक एकता का सवाल उठाया। बिहार से आए रामाशीष गुप्ता ने कहा कि असली लड़ाई राजसत्ता के खिलाफ है। उड़ीसा के नियामगिरि सुरक्षा समिति से आए लिंगराज आजाद, गांव बचाओ आंदोलन से प्रेमनाथ गुप्ता, विहान से रवींद्र सिंह, सत्या महार, संजीव कुमार और एनएपीएम से मधुरेश ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। इंसाफ उत्तर प्रदेश की आयोजिका बिंदु सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापन दिया। विहान के रवींद्र सिंह ने आभार प्रकट किया।


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