भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन में पारित प्रस्ताव

भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन
27 अक्टूबर 2015, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
आज वाराणसी में आयोजित देश के सात राज्यों से आए विभिन्न जन आंदोलनों, किसान सभा, ट्रेड यूनियनों के संघर्षशील साथी “भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन के विरोध में राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए”। सभा में उपस्थित साथियों ने निम्न प्रस्ताव पारित किए-

  1. राज्य सरकार के हिंसात्मक रवैये और कार्यवाही की सभा ने निंदा की और मांग की कि फौरी तौर पर सभी गिरफ्तार साथियों को रिहा करें। 
  2. सभा ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सजा की मांग की क्योंकि पूरे इलाके में खौफ का माहौल बना रखा है जिसके तहत बाहर से आए संगठनों के द्वारा कोई भी कार्यक्रम करना नामुमकिन है इसका विरोध करते हैं और अभी चल रही कानूनी प्रक्रिया के तहत हम लोकतांत्रिक हकों की बहाली करेंगे।
  3. सभा ने यह भी माना की कि उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय सरकार के भूमि अध्यादेश के खिलाफ खड़ी होती है लेकिन दूसरी तरफ किसानों और मजदूरों की पहचान छीन रही है। उनकी जमीनें इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, गंगा एक्सप्रेस वे, पावर प्लांट, स्मार्ट सिटी आदि के नाम पर जबरन ले रही हैं।

हम मांग करते हैं कि,

  • करछना पावर प्लांट का विरोध कर रहे 42 किसान और कन्हर बांध का विरोध कर रहे 4 किसानों को तुरंत रिहा किया जाए।
  • उत्तर प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण 2013 कानून के तहत ग्राम सभा की सहमति के बिना कोई भी जबरन भूमि अधिग्रहण न करें। 
  • सरकार द्वारा लाया गया उ.प्र. जमींदारी विनाश अधिनियम संशोधन 2015 को तुरंत वापस लें और भूमिहीन परिवारों को जमीन मुहैया कराए न कि उनकी जमीन आसानी से कैसे छीनी जाए इसकी उपाय करें।
  • जनांदोलनों पर पुलिस गोली चालन पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए।
  • सूखा प्रभावित किसानों के कर्ज और बिजली के बिल माफ किए जाएं और सूखे से पीड़ित किसानों के लिए राहत पैकेज घोषित किया जाए।

सभा के आखिर में करछना में चल रहे आंदोलन के पक्ष में निम्न कार्यक्रम तय किए गए-

  1. राज्य भर में जगह-जगह चल रहे आंदोलन अपने-अपने इलाके में 5 नवंबर को करछना के समर्थन में जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार को ज्ञापन देंगे।
  2. करछना आंदोलन पर हुए दमन के विरोध में 16 नवंबर को लखनऊ में एक दिवसीय धरना आयोजित किया जाएगा जिसमें राज्य के सभी जनांदोलन, किसान सभाएं और ट्रेड यूनियन शामिल होंगे।
  3. 19-20 नवंबर को दिल्ली में भूमि अधिकार आंदोलन की बैठक में करछना आंदोलन को मुख्य तौर पर उठाया जाएगा। 
  4. स्वतंत्र जांच दल की रिपोर्ट को इलाहाबाद और दिल्ली में बैठक कर सार्वजनिक किया जाएगा। जांच दल की रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग तथा राष्ट्रीय बाल आयोग को भी सौंपी जाएगी। 

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भूमि अधिग्रहण और राज्य दमन विरोधी सम्मलेन में चर्चा के आधार पर प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित करते हुए और सबकी सहमति से कार्यक्रम के आगे की रणनीति के मद्देनज़र निम्न प्रस्ताव पारित किया गया-

  1. करछना पॉवर प्लांट विरोधी जनांदोलन के प्रति समर्थन के माध्यम से दमन के विरोध में जनांदोलन के प्रति भी सभी जनसंगठनों/ जनांदोलनों द्वारा समर्थन और एकजुटता दिखाई गयी.  
  2. पूंजीवाद को बढ़ावा देने और कॉर्पोरेट का लाभ पहुँचाने के लिए श्रम, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन सम्बन्धी कानूनों में शिथिलता की प्रक्रिया का पुरजोर विरोध किया गया और उसके विरोध में आंदोलनों का निर्णय किया गया.
  3. अब तक हमने सरकार के मुद्दों पर बात की है अब हमें अपने आंदोलनों को उस मुकाम पर पहुँचाना होगा जहाँ सरकार हमारे मुद्दों पर हमसे हमारी शर्तों पर बात-चीत करे.
  4. साम्प्रदायिकता और संकेंद्रित पूंजीवाद (crony capitalism) के अंत: सबंधों को चुनौती देने और साम्प्रदायिकता के आधार पर बंटवारे का प्रतिरोध करने का निर्णय किया गया.
  5. सांगठनिक प्रक्रियाओं में ब्राम्हणवाद, पितृसत्तावाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता जैसे मुद्दों के विरोध में साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत पर बल और समता-न्याय की संकल्पना को रेखांकित किया गया.
  6. सत्ता का विकेन्द्रीकरण और ग्राम सभा के सर्वोच्च अधिकारों की पैरवी की बात का सर्व-सम्मति से निर्णय लिया गया.
  7. सामाजिक कार्यकर्ताओं और लोगों पर लगे झूठे और मनगढंत अभियोगों के प्रति साथ मिलकर संघर्ष और कानूनी कवायद करने की ज़रूरत को महसूस किया गया. साथ ही बंदी अधिकारों, पुलिसिया दमन और बढ़ते सैन्यकरण के मुद्दों को प्रस्ताव में शामिल किया गया. 
  8. संगठन की व्यूह-रचना को आगे बढ़ाने और स्थानीय संघर्षों को मज़बूत करने के साथ सांगठनिक स्वरूप पर ठोस समझ बनाने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया. साथ ही छोटे आंदोलनों को मज़बूत करने और नयी पीढ़ी के कार्यकर्ताओं की तैयारी की ज़रूरत को महसूस किया गया.


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