जल सत्याग्रह का 22वां दिन : पानी में मनाया मजदूर दिवस


आज 2 मई को  22 वें दिन जल सत्याग्रह जारी है, पैरों में सुजन, तेज शरीर दर्द, जी मतलाना, पैरों में खुजली , बुखार और तेज धुप के बावजूद जल सत्याग्रहियों का अपनी हक की लड़ाई लड़ने का जज्बा कम नहीं हुआ । सब का एक सुर में कहना है अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो यही उनकी जल समाधि हो जाएगी । नर्मदा बचाओ आन्दोलन की विज्ञप्ति;

 1 मई  2015  को घोगलगाँव में ओम्कारेश्वर डूब प्रभावितों का जल सत्याग्रह 21 दिन बाद भी पुरे उत्साह से जारी रहा। जल  सत्याग्रहियों ने पुरे जोश के साथ एक जुट होकर पानी में ही मजदूर दिवस मनाया । सभी सत्याग्रहियों ने मजदूर के हक की लड़ाई को याद किया और अपने अधिकारों की लड़ाई को मजबूत करने का संकल्प लिया । सभी सत्याग्रहियों ने हम होंगे कामयाब गीत गाकर अपने अन्दर उर्जा का संचार किया ।

आज फिर डॉक्टर की टीम ने जल सत्याग्रहियों के पैरों की जाँच की और सत्याग्रहियों ने इलाज लेने से मना किया ।


पुनासा तहसीलदार मुकेश काशिव ने सत्याग्रहियों से मिल कर उनके समक्ष सरकार की बात रखी की वह सरकार के पास उपलब्ध लैंड बैंक की जमीन ले लें और कहा की इनके लिए प्लाट की व्यवस्था भी की जाएगी ।
वहीं प्रभावितों द्वारा स्पष्ट रूप से ये कहा गया की वह लैंड बैंक की जमीनों को पहले भी कई बार देख चुके हैं , यह सभी जमीने बंजर एवं अतिक्रमित हैं , अनेकों स्थान पर पुराने अतिक्रमणकारियो ने उन्हें भगा दिया था । प्रभावितों ने यह भी बताया कि जो लैंड बैंक की यह जो जमीन है वह राज्य सरकार के राजस्व विभाग  के पत्र दिनांक 28 मई 2001 के अनुसार, नर्मदा घाटी मंत्रालय द्वारा पुनर्वास के लिए अरक्षित की गयी लैंड बैंक की ये जमीने अनउपजाऊ है, इन जमीनों को विस्थापितों को दिखाया गया था ,जिसमे ये जमीनें अन उपजाऊ और अतिक्रमित पाई गयी, कई स्थानों पर हथियारों से लैस अतिक्रमणकारियो ने विस्थापितों को भगा दिया था ।

अतः इन दोनों प्रस्तावों से विस्थापितों का पुनर्वास नीति और सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार पुनर्वास संभव नहीं है । विस्थापितों को सरकार या तो जमीन खरीद कर दे या वर्तमान बाजार भाव पर पात्रता अनुसार न्यूनतम पांच एकड़ जमीन खरीदने के लिया अनुदान दे ताकि विस्थापितों का उचित पुनर्वास हो सके ।

वहीं डूब प्रभावितों ने यह भी स्पष्ट किया की वह सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं ताकि विस्थापितों के पुनर्वास का हल निकल जा सके । उनके द्वारा नर्मदा घाटी मंत्री लाल सिंग आर्य, मुख्य सचिव मध्यप्रदेश सरकार एवं प्रमुख नर्मदा घाटी मंत्रालय को विस्थापितों के पुनर्वास संबंधित सभी मुद्दों से अवगत कराया जा चूका है । अब सिर्फ सरकार का निर्णय लेना बाकी है ।

आज 22 वें दिन सत्याग्रह जारी है , पैरों में सुजन, तेज शरीर दर्द, जी मतलाना,खुजली और बुखार की शिकायत । वही तेज धुप ने भी सत्याग्रहियों की अग्नि परीक्षा ली । फिर भी सत्याग्रहियों का अपनी हक की लड़ाई लड़ने का जज्बा कम नहीं हुआ । सब का एक सुर में कहना है अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो यही उनकी जल समाधि हो जाएगी । आज फिर डॉक्टर की टीम ने जल सत्याग्रहियों के पैरों की जाँच की और सत्याग्रहियों ने इलाज लेने से मना किया
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