छत्तीसगढ़ : भूअर्जन अध्यादेश और कॉरपोरेट राज के खिलाफ रैली !

गुजरी 15 मार्च 2015 को छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के बैनर तले जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लोक पर भूअधिग्रहण अध्यादेश 2014  तथा खनन अध्यादेश के विरोध में विशाल रैली निकालकर जनसभा आयोजित की जिसमे लगभग 30 हजार किसान आदिवासी शामिल हुए. जनसभा को छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन की सुधा भरद्वाज, आलोक शुक्ला, अखिल भारतीय किसान महासभा के चित्तरंजन बक्शी, जशपुर जनपद पंचायत उपाध्यक्ष  कृपा शंकर भगत, नेस्तुर कुजूर, जे आर निकुंज हंशराज अगरवाल, ललिता कोरवा, रेमिस तिर्की, जी एस मुंगेर, नेहरु लकड़ा, सहित अन्य वक्ताओ ने संवोधित किया.  वक्ताओ ने अपने संबोधन  में कहा की वर्तमान मोदी सरकार कार्पोरेट परस्त सरकार हे जो सिर्फ अदानी, अम्बानी को मुनाफा पहुचाने के लिए कार्य कर रही है.

सभी जन पक्षीय कानूनों को कमजोर करके कार्पोरेट लूट के लिए रास्ता सुगम कर रही हे और इसी लिए भूअधिग्रहण, खनिज  व कोयला अध्यादेश लाये गए है. 2013 का भूअर्जन एवं पुनर्वास कानून में निजी और पीपीपी परियोजनाओ के लिए  किसानो की सहमती और सामाजिक प्रभाव अध्यन  का प्रावधान लागु किया गया था जिसे अध्यादेश के माध्यम से ख़त्म किया जा रहा है. इसी प्रकार 2013 के कानून में यह भी प्रावधान था की परियोजनाओं  के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का 5 सालो में उपयोग नहीं किया गया तो उस जमीन को किसानों को वापस की जाएगी परन्तु अध्यादेश के माध्यम से इस प्रावधान को भी ख़त्म किया जा रहा है.

वक्ताओ ने आरोप लगते हुए कहा की मोदी सरकार पूर्णता गरीब किसान, आदिवासी, मजदूर विरोधी है. लोगों के जीवन जीने के प्राकृतिक संसाधन, जल, जंगल, जमीन को कार्पोरेट घरानों को सोप रही हे जिसका पुर जोर विरोध किया जायेगा.  सभा के माध्यम से केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया की अभी भी वक्त हे मोदी सरकार इन जन विरोधी अध्यादेशो को तुरंत वापस ले ले अन्यथा अगले चुनाव में यही आदिवासी, किसान, मजदूर आपको सत्ता से उखड फेखेंगे.

जन सभा में लोगो ने संकल्प लिया की सदन में यह अध्यादेश भले ही पारित हो जाये परन्तु हम अपनी जमीन को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे I जनसभा के बाद महामहिम राज्यपाल के नाम से ज्ञापन प्रेषित किया गया. सभा का संचालन अनिमानंद एक्का, हर्ष कुजूर, और मालती  कुजूर ने किया.  
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