पुलिसिया हमले के खिलाफ 5 राजनीतिक दल पी.पी.एस.एस. के समर्थन में आये सामने तथा किया पोस्को कम्पनी का विरोध

एक तरफ लाठी, डंडों और मशीनगन से लैस पुलिस के जवान तो दूसरी तरफ निरीह छोटे-छोटे बच्चे जो अपने पुरखों की जमीन बचाने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं । यह नजारा किसी फिल्म का नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र भारत के उडीसा राज्य के जगतसिंहपुर जिले का है जहां पोस्को की विशाल स्टील परियोजना के खिलाफ विस्थापन विरोधी लोगों की लडाई निर्णायक दौर में पहुंच गई है ।

पोस्को कम्पनी की स्थापना के लिए चुने गये तीन ग्राम पंचायतों- ढिंकिया, नुआगांव तथा गढ़कुजंग के प्रवेश द्वार बालिटुडा में 8 जनवरी से चल रहे धरने; जिसने इन ग्राम पंचायतों में कम्पनी तथा सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर रखा था; पी.पी.एस.एस. के इस आंदोलन को पूरे देश के विभिन्न जन संघर्षों से मिल रहे समर्थन तथा उड़ीसा में चल रहे संघर्षों की एकता से बौखलायी सरकार ने 3 फ़रवरी को सुबह के लगभग 4 बजे 12 प्लाटूनों से नुआगांव में पोस्को संयंत्र का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर हमला बोल दिया गया. इस कतिलाना हमले में कई महिला-बच्चें-बुजर्गों घायल हुए हैं, महिलाओं बच्चों को निशाने पर लिया और न केवल इन्हें घायल किया गया बल्कि गांवों की नाकाबंदी कराके घायलों को इलाज कराने से भी रोक दिया गया।


इस पुलिसिया हमले से आंदोलनकारी न तो डरे और न सहमे बल्कि पी.पी.एस.एस. द्वारा 4 फ़रवरी को इसी स्थान पर आयोजित विरोध सभा को सी.पी.आई. स्थानीय सांसद तथा सी.पी.आई. नेता विभु प्रसाद तराई समेत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लाक, समाजवादी पार्टी तथा राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने न केवल सम्बोधित किया बल्कि पोस्को विरोधी आंदोलन का समर्थन भी किया। इस सभा में ढिंकिया, नुआगांव तथा गढ़कुजंग पंचायतों के हजारों निवासियों ने शिरकत की।


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