महाराष्ट्र : भगोड़े नीरव मोदी की सवा सौ एकड़ ज़मीन पर किसानों ने जमाया कब्‍ज़ा

महाराष्ट्र : भगोड़े नीरव मोदी की सवा सौ एकड़ ज़मीन पर किसानों ने  जमाया कब्‍ज़ा

PTI/TOI/ANI

महाराष्‍ट्र में अभी किसान पदयात्रा की धमक खत्‍म भी नहीं हुई थी कि अहमदनगर से शुक्रवार को एक ऐसी ख़बर आई जिसने देश में किसान आंदोलन को विमर्शों के बीचोबीच लाकर खड़ा कर दिया। मुकेश अम्‍बानी का रिश्‍तेदार आभूषण व्‍यापारी नीरव मोदी, जो देश के बैंकों से भारी-भरकम कर्ज लेकर भाग गया है, उसकी खरीदी ज़मीन पर अहमदनगर के किसानों ने हल चला कर कब्‍ज़ा कर लिया है।

मामला वहां की करज़त तहसील में 125 एकड़ खेती की ज़मीन का है जिसके बारे में किसानों का कहना है कि नीरव मोदी की कंपनी ने उनसे यह ज़मीन औने-पौने दामों में खरीदी थी। शुक्रवार को कोई 200 बैलगाड़ी लेकर किसान उस ज़मीन पर पहुंचे और उन्‍होंने वहां तिरंगा झंडा गाड़कर ज़मीन पर कब्‍ज़ा कर लिया।

आम तौर से कृषि भूमि पर किसानों के कब्‍ज़े की खबरें ओडिश या पंजाब से आती रही हैं लेकिन ऐसा पहली बार है कि इस किस्‍म के उग्र आंदोलन की खबर महाराष्‍ट्र से आई है। ओडिशा के आदिवासी जिले रायगढ़ा में एक वक्‍त सीपीआइ(एमएल)-न्‍यू डेमोक्रेसी के नेतृत्‍व में खेती की ज़मीनों को कब्‍ज़ा कर सहकारी खेती करने का अभियान चलाया गया था। आज भी रायगढ़ा के मुनीगुड़ा में आंदोलन की पहचान दिलाने वाले कई आदर्श गांव मौजूद हैं जहां आदिवासी सहकारी ढंग से खेती करते हैं।

पंजाब में भूमिहीन दलित किसानों ने पिछले कुछ वर्षों से ज़मीन कब्‍ज़ाने का आंदोलन छेड़ा हुआ है। संगरूर ये लेकर बरनाला और समूचे मालवा क्षेत्र में भूमिहीन दलितों ने बड़े पैमाने पर उन ज़मरीनों पर कब्‍ज़ा किया है जिन प कानूनी अधिकार तो उन्‍हीं का था लेकिन आज़ादी के वक्‍त से ही ऊंची जातियों के लोग उन पर कब्‍ज़ा जमाए बैठे थे। पंजाब में यह आंदोलन ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के बैनर तले आज भी जारी।

इस किस्‍म का प्रयोग महाराष्‍ट्र में पहली बार सुनने को मिला है। दिलचस्‍प इसलिए भी है क्‍योंकि ज़मीन एक ऐसे कारोबारी की है जो देश से कर्ज खाकर भाग गया है और कर्ज लौटाने से उसने सीधे इनकार कर दिया है।

अहमदनगर के किसानों ने करज़त तहसील के खंडाला में स्थित सवा सौ एकड़ की ज़मीन के एक टुकड़े की शुक्रवार को ट्रैक्‍टर से जुताई करते हुए एलान किया कि वे अब उस पर खेती करेंगे। नीरव मोदी की कंपनी फायरस्‍टार ने यह ज़मीन सामान्‍य से सस्‍ते दामों पर किसानों से ली थी।

किसानों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी के घोटाले की जांच के सिलसिले में इस भूखंड को मोदी की अन्‍य परिसंपत्तियों की तरह ही राजसात किया हुआ है। किसानों ने यहां तिरंगा गाड़ा और छत्रपति शिवाजी व बाबासाहब आंबेडकर की तस्‍वीरें लगा दीं। यह कार्रवाई स्‍थानीय किसान संगठन ”काली आई मुक्ति संग्राम” के बैनर तले की गई।

पीटीआइ की खबर कहती है कि कार्रवाई की अगुवाई कर रहे एक किसान नेता करभारी गावली के मुताबिक यह ज़मीन किसानों से 15000 प्रति एकड़ की दर से खरीदी गई थी जबकि इस क्षेत्र में मुआवजे की दर आज की तारीख में 20 लाख प्रति एकड़ है।

साभार : mediavigil.com

Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें