सीएनटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झारखण्ड बंद : कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ जनता का संघर्ष जिंदाबाद


नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में आने के बाद से ही भाजपा सरकार ने इस देश की समस्त प्राकृतिक संपदा को कॉर्पोरेट शक्तियों के हाथ सौंपने की मुहिम चला रखी है. नित नए कानून बनाकर या फिर पुराने कानूनों में संशोधन कर वह इस काम को अंजाम दे रही है. फिर वह चाहे केंद्र में हो या राज्य में. इसी क्रम में झारखंड में एक सदी से भी पुराने सीएनटी तथा एसपीटी एक्ट में संशोधन कर वहां की जमीन, जिस पर अभी तक वहां के स्थानीय निवासियों तथा आदिवासियों का अधिकार था, को किसी भी बाहरी व्यक्ति द्वारा खरीदे जा सकने को कानूनी जामा पहना दिया है. जाहिर है कि इससे झारखंड की प्राकृतिक संपदा को कॉर्पोरेट लूट के लिए खुली छूट मिल जाएगी. इन संशोधनों से आक्रोशित झारखंड की आम जनता ने आज  2 दिसम्बर 2016 को दूसरी बार सफलतापूर्वक पूरी तरह से झारखंड बंद रखा. स्कूल, कॉलेज से लेकर दुकानें इत्यादि सबकुछ पूरी तरह से बंद था. हम आपके साथ यहां पर आज के  बंद की रिपोर्ट साझा कर रहे हैं;

आज झारखंड आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले तमाम झारखंडीयों ने ,बीजेपी सरकार व राज्य की रघुवर सरकार द्वारा आदिवासीयों को उजाड़ने के लिये बनाये जा रहे कानून के खिलाफ आंदोलन में उतरे ।
झारखंड में कई दिनों से रघुवर सरकार (BJP) के खिलाफ झारखंड के तमाम सामाजिक एवं राजनैतिक संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे है , रघुवर सरकार CNT/SPT act में संसोधन कर के झारखंड की जमीन अम्बानी, अडानी व विदेशी कम्पनीयों को बेच देना चाहती है , झारखंडीयों को विस्थापित करने की साजिश है यहाँ के लोगों को पलायन ,प्रदुषण ,विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा और गैर झारखंडी रोजगार पाकर आर्थिक सुदृढ होंगे आने वाले दिनों में यह कम्पनीयों को अपना वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर सके ।

झारखंड की बीजेपी सरकार राज्यद्रोही वाला काम करते हूए ... तानाशाही रवैया अपनाते हूएे झारखंड के मूलनिवासी के खिलाफ पहले गलत स्थानियता को घोषित किया और अब CNT/SPT act में बदलाव लाके झारखंडी जमीन को बंजर बना देना चाहती है ।

आज का झारखंड बंद सफल रहा , लेकिन फिर भी कल के अखबार में बीजेपी के समर्थित मीडिया बंदी को बेअसर कहेंगे , लेकिन सच्चाई क्या है , यह हम सबो को पता है ।

जब तक संशोधन वापस नहीं हो जाता राज्यद्रोही सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा

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एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
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