सीएनटी व एसपीटी एक्ट में जबरन संशोधन के खिलाफ आज 25 नवम्बर 2016 को झारखंड के लाखों आम आदिवासी-मूलवासियों ने झारखंड को पूर्ण बंद कर दिया है। गौरतलब है कि झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा इस बंद को गैर-कानूनी घोषित कर दिए जाने के बावजूद आज पूरा झारखंड इन जनविरोधी नीतियों के विरोध में बंद को सफल बना रहा है। पूरे राज्य की सड़कें सूनी है, दूकानें बंद है। यह साफ दिखाती है कि राज्य कितना भी इन संघर्षों को रोकने की कोशिश कर ले फिर भी झारखंड की आम जनता अन्याय के विरुद्ध खड़ी है। पेश है झारखंड बंद पर रूपेश कुमार की टिप्पणी;
सीएनटी व एसपीटी एक्ट में जबरन संशोधन के खिलाफ आज झारखंड में लाखों आम आदिवासी-मूलवासी महिला पुरुष व जल-जंगल-जमीन के असली रखवाले सड़क पर उतर चुके हैं, पूरे राज्य की सड़कें सूनी है, दूकानें बंद है.
पूरे राज्य में धारा 144 लगाने व पूरे राज्य को पुलिस छावनी में तब्दील कर और उच्च न्यायालय का बेजा इस्तेमाल कर भी क्या जनता के अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ उनके जुझारू संघर्ष को दबाया जा सकता है? कत्तई नहीं, आज झारखंड के बिरसा मुंडा व सिद्धु-कान्हू के असली वारिसों ने ये दिखला दिया है, अब जरूरत है झारखंड की जनता पर इस थोपे गए युद्ध में व्यापक जनता को गोलबंद करते हुए शासक वर्गों के खिलाफ जनयुद्ध की घोषणा का. जरूरत है एक और हूल व उलगुलान के जरिए आबुआ राज की धारणा के तहत युद्ध के मैदान में उतरने का साथ ही गांवों में स्वशासन के तरफ बढ़ने का, तभी हम ऐसे सुअरबाड़े से पास जनविरोधी कानून को निष्प्रभावी बना सकते हैं.
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