झारखण्ड : प्रस्तावित स्थानीय नीति में संसोधन और एसपीटी-सीएनटी एक्ट अध्यादेश रद्द नहीं किया तो राज्य भर में आर्थिक नाकेबंदी, चक्का जाम का ऐलान


-दीपक रंजीत

24 अगस्त 2016 को झारखंड की राजधानी रांची में विकास के नाम पर उद्योगों को जमीन उपलब्ध करवाने के लिए भाजपा सरकार द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी (सीनएनटी) एक्ट, 1908 और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट), 1949 में की जा रही छेड़-छाड़ के विरोध में एक विशाल जन प्रदर्शन का आयोजिन किया गया। (देखें लिंक-http://www.sangharshsamvad.org/2016/08/blog-post_25.html)। प्रदर्शन में झारखंड के हजारों आदिवासियों ने राज्यभवन का घेराव किया।

गौरतलब है कि यह दोनों ही एक्ट जमीन पर आदिवासियों के मालिकाने को बनाए रखने से और उन्हें गैर-आदिवासियों को बेचने से रोकने से संबंधित हैं। रैली में एकत्रित जनता ने प्रशासन के सामने सीएनटी एक्ट से छेड़-छाड़ न करने और स्थानीय नीतियों को मूलवासियों की बेहतरी के अनुसार बनाने की मांग की।

रैली के बाद प्रदर्शन में शामिल तमाम जनसंगठनों तथा प्रतिनिधियों की सहमति से तय किया गया है कि 28 अक्टूबर 2016 से पहले तक मांगे नहीं मानने पर 28 अक्टूबर को मोराबादी में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बाद भी मांगे नहीं मानने पर राज्य भर में आर्थिक नाकेबंदी हेतु चक्का जाम आन्दोलन चलाया जाएगा। 28 अगस्त को प्रदर्शन में शामिल तमाम जनसंगठनों के साथ मिलकर रांची में एक समीक्षा बैठक की जाएगी जिसमें आगे की रणनीतियों पर चर्चा होगी।

झारखण्ड आदिवासी संघर्ष मोर्चा के सभी अनुशांगी सामाजिक संगठन सोसाइटी फोर प्रोटेक्षन एण्ड इनफोर्स मेंट ऑफ ट्राइबल राइट्स (स्पीय), राजी पड़हा प्रार्थना सभा, आदिवासी सरना प्रार्थना महासभा, आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी सेना, भारत मुण्डा समाज, आदिवासी, लोहरा समाज, आदिवासी युवा संगठन, झारखण्ड बचाओ मंच, अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद आदिवासी बुद्विजीवी मंच, जोगो पहाड़ सरना समिति, आदि अखड़ा, कैथलिक महासभा, कैथलिक महिला संघ, कैथलिक ऑफ चर्चेस, सभी चर्च के युवा संघ, झारखंड चीक बड़ाईक युवा संघ, रांची खड़िया महासभा, बेदिया विकास परिषद, एस.टी/एस.सी परिषद, शहीद बिरसा सेवा समिति, केंद्रीय सरना समिति, सरना समिति कांके, पश्चिमी क्षेत्र केंद्रीय सरना समिति, बेया ग्राम समिति, शहीद बिरसा सेवा समिति, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा।

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