चुटका परमाणु विद्युत परियोजना पर 17 फरवरी 2014 को मानेगांव, जिला-मण्डला (मध्य प्रदेश) में बंदूक के साये में जनसुनवाई की नौटंकी लिखी गई. प्रशासन इस तीसरी जनसुनवाई को किसी भी हल में फेल नहीं देना चाहता था इसलिए सुरक्षा और नाकेबंदी ऐसी कि मानेगांव जाने वाले हर रस्ते पर सन्नाटा. स्पेशल फ़ोर्स के फ्लैगमार्च के कारण गावों में कर्फ्यू जैसे हालात. हाईस्कूल में आयोजित जनसुनवाई में प्रशासन ने अपने समर्थकों को एक दिन पहले ही लाकर बिठा दिया था. जनसुनवाई स्थल से मात्र 500 मीटर दूर परियोजना के विरोध में धरने पर बैठे 5000 ग्रीमीणों को वहीं रोके रखा गया. उनके सिर्फ 5 प्रतिनिधियों को जनसुनवाई में जाने दिया गया हैं उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 24 मई और 31 जुलाई, 2013 को भी शासन द्वारा यह प्रयास किये जा चुके है किन्तु इस परियोजना के प्रभावितों एवं इनके समर्थक समूहों द्वारा किये गये जबरदस्त प्रतिरोध के चलते उक्त जन-सुनवाईयों को निरस्त करना पड़ा था। पेश हैं चुटका परमाणु संघर्ष समिति की प्रेस विज्ञप्ति;
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के जबरन क्रियान्वयन के खिलाफ और जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन व संविधान के खुल्लमखुल्ला उल्लंघन के विरोध में 17 फरवरी 2014 को भोपाल व प्रदेश के अन्य जिलों में अनेक राजनीतिक दलों और जन-संगठनों ने प्रदेश-व्यापी काला-दिवस मनाया। भोपाल में इसके अंतर्गत बोर्ड ऑफिस चौराहा पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया और राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की गई। याचिका को स्वीकार करते हुए आयोग ने इसकी सुनवाई के लिए ‘डिविज़न बेंच’ के गठन का निर्देश दिया।
ज्ञातव्य हो कि 17 फरवरी 2014 को प्रदेश के मंडला जिले में चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तीसरी बार 'जन-सुनवाई' करवाने की कोशिश कर रही हैं। पिछले साल दो बार 'जन-सुनवाई' करवाने का प्रयास किया गया था लेकिन व्यापक विरोध को देखते हुए ऐन वक्त पर सरकार को दोनों ही बार सुनवाई रद्द करनी पड़ी। लेकिन इस बार विरोध को कुचलने के लिए सरकार अपनी पूरी ताकत लगा रही है । चुटका से खबर मिल रही है कि सैंकड़ो की तादात में हथियारबंद पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है और मंडला-जबलपुर मार्ग, जहां से हो कर चुटका पहुंचा जा सकता है, उस रास्ते पर पूरी बैरीकेडिंग कर लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है। इस तरह देश और प्रदेश की सरकारें मिलकर बंदूक की नोक पर जन-सुनवाई करवाने का प्रयास कर रही हैं। यह लोकतंत्र और जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
इन संगठनों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से अपील की कि प्रदेश की जनता की इच्छा और परमाणु ऊर्जा के विनाशकारी परिणामों के देखते हुए चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना को तत्काल रद्द करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। वक्ताओं ने इस तथ्य को सामने रखा कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान समेत अनेक विकसित देशों ने वहां की जनता की लोकतांत्रिक मांग का सम्मान करते हुए अपने देशों में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर रोक लगाया है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में केंद्र व राज्य सरकारें जनता की लोकतांत्रिक मांगों की और साथ ही परमाणु ऊर्जा के जन-जीवन व पर्यावरण पर पड़ने वाले घातक परिणामों की अनदेखी कर रही हैं।
इन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कहा कि चुटका परमाणु परियोजना असल में एक और भोपाल गैस कांड को दोहराने वाला कदम है। गैस कांड की विभीषिका ने यह साबित कर दिया था कि भारत की सरकारें, चाहे वे केंद्र की हों या राज्य की, मुनाफाखोर कारपोरेट हितों के लिए जनता के हितों की सोची-समझी अनदेखी कर रही हैं। देश का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम जनता के लिए नहीं बल्कि परमाणु ऊर्जा से जुड़ी देसी और विदेशी कंपनियों के फायदे के लिए चलाया जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने भोपाल की जनता से अपील करते हुए कहा कि अगर भोपाल ने चुटका परमाणु परियोजना के खिलाफ आज आवाज नहीं उठाई गई तो कल इसकी विनाशलीला से बचना नामुमकिन होगा।
चुटका परमाणु संघर्ष समीति; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (म.प्र.); भारत की कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी-लेनिनवादी (म.प्र.); गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (म.प्र.); अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (म.प्र.); ऑल इण्डिया स्टुडेंट्स फेडेरेशन (म.प्र.); ऑल इण्डिया यूथ फेडेरेशन (म.प्र.); क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा (म.प्र.); गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल; पीपल्स इनिशियेटिव अगेंस्ट न्युक्लियर पावर; मध्य प्रदेश महिला मंच; शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल; सेंट्रल गवर्नमेंट पेंशनर्स एसोसिएशन
संपर्कः खुमेंद्र (9993705564), सत्यम (9406538817)
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के जबरन क्रियान्वयन के खिलाफ और जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन व संविधान के खुल्लमखुल्ला उल्लंघन के विरोध में 17 फरवरी 2014 को भोपाल व प्रदेश के अन्य जिलों में अनेक राजनीतिक दलों और जन-संगठनों ने प्रदेश-व्यापी काला-दिवस मनाया। भोपाल में इसके अंतर्गत बोर्ड ऑफिस चौराहा पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया और राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की गई। याचिका को स्वीकार करते हुए आयोग ने इसकी सुनवाई के लिए ‘डिविज़न बेंच’ के गठन का निर्देश दिया।
ज्ञातव्य हो कि 17 फरवरी 2014 को प्रदेश के मंडला जिले में चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तीसरी बार 'जन-सुनवाई' करवाने की कोशिश कर रही हैं। पिछले साल दो बार 'जन-सुनवाई' करवाने का प्रयास किया गया था लेकिन व्यापक विरोध को देखते हुए ऐन वक्त पर सरकार को दोनों ही बार सुनवाई रद्द करनी पड़ी। लेकिन इस बार विरोध को कुचलने के लिए सरकार अपनी पूरी ताकत लगा रही है । चुटका से खबर मिल रही है कि सैंकड़ो की तादात में हथियारबंद पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है और मंडला-जबलपुर मार्ग, जहां से हो कर चुटका पहुंचा जा सकता है, उस रास्ते पर पूरी बैरीकेडिंग कर लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है। इस तरह देश और प्रदेश की सरकारें मिलकर बंदूक की नोक पर जन-सुनवाई करवाने का प्रयास कर रही हैं। यह लोकतंत्र और जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
इन संगठनों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से अपील की कि प्रदेश की जनता की इच्छा और परमाणु ऊर्जा के विनाशकारी परिणामों के देखते हुए चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना को तत्काल रद्द करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। वक्ताओं ने इस तथ्य को सामने रखा कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान समेत अनेक विकसित देशों ने वहां की जनता की लोकतांत्रिक मांग का सम्मान करते हुए अपने देशों में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर रोक लगाया है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में केंद्र व राज्य सरकारें जनता की लोकतांत्रिक मांगों की और साथ ही परमाणु ऊर्जा के जन-जीवन व पर्यावरण पर पड़ने वाले घातक परिणामों की अनदेखी कर रही हैं।
इन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कहा कि चुटका परमाणु परियोजना असल में एक और भोपाल गैस कांड को दोहराने वाला कदम है। गैस कांड की विभीषिका ने यह साबित कर दिया था कि भारत की सरकारें, चाहे वे केंद्र की हों या राज्य की, मुनाफाखोर कारपोरेट हितों के लिए जनता के हितों की सोची-समझी अनदेखी कर रही हैं। देश का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम जनता के लिए नहीं बल्कि परमाणु ऊर्जा से जुड़ी देसी और विदेशी कंपनियों के फायदे के लिए चलाया जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने भोपाल की जनता से अपील करते हुए कहा कि अगर भोपाल ने चुटका परमाणु परियोजना के खिलाफ आज आवाज नहीं उठाई गई तो कल इसकी विनाशलीला से बचना नामुमकिन होगा।
प्रति, दिनांक 17 फरवरी 2014
अध्यक्ष
मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग
मध्य प्रदेश
भोपाल।
विषयः मंडला जिले में प्रस्तावित ‘चुटका मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना’ का विरोध कर रहे स्थानीय आदिवासियों को पुलिस-प्रशासन द्वारा डराए-धमकाए जाने के खिलाफ याचिका
माननीय अध्यक्ष महोदय,
मध्य प्रदेश के मंडला जिले के चुटका गांव में न्युक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआइएल) द्वारा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का प्रस्ताव है। इस संबंध में पर्यावरणीय अनुमति के लिए मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एनपीसीआइएल द्वारा 17 फरवरी 2014 को मानेगांव (जिला – मंडला) में जन-सुनवाई का आयोजन किया गया है। ज्ञातव्य हो कि इससे पहले भी 24 मई 2013 और 31 जुलाई 2013 को इस परियोजना के लिए जन-सुनवाई की अधिसूचना जारी की गई थी लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रतिरोध के चलते उसे दोनो बार स्थगित कर दिया गया था। इस बार भी स्थानीय लोग, जिनमें अधिकतर आदिवासी हैं, इस जन-सुनवाई व परियोजना के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
लेकिन हमें यह जानकारी मिली है कि परियोजना के विरुद्ध उठ रही आम जनता की आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाने की बजाय राज्य सरकार व मंडला प्रशासन स्थानीय लोगों को डरा-धमका कर जन-सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कराना चाहती है। चुटका व आसपास के अन्य गांवों से यह रपट मिल रही है कि उक्त परियोजना के खिलाफ लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध करने वाले लोगों को स्थानीय पुलिस द्वारा आपराधिक कार्यवाही का भय दिखा कर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
हम आपके संज्ञान में यह तथ्य भी लाना चाहेंगे कि उक्त परियोजना के लिए सरकार यहां के आदिवासियों के अधिकारों की लगातार अनदेखी कर रही है। प्रस्तावित परियोजना से प्रभावित गांवों के आदिवासियों को पहले भी बरगी बांध परियोजना के लिए विस्थापित किया गया था। अब उन्हे दोबारा विस्थापित करने की योजना बन रही है। हमे ज्ञात हुआ है कि इन गावों की ग्राम-सभाओं ने इस परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर आपत्ती भी दर्ज कराई है, लेकिन इसे सरकार ने बिल्कुल अनसुना कर दिया है। यह पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 और अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
स्पष्ट तौर पर यह संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों और साथ ही स्थानीय आदिवासी नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का मामला है। हम आयोग से निवेदन करते हैं कि इस परिस्थिति का संज्ञान लेते हुए स्थानीय लोगों की सुरक्षा का प्रबंध करे और यह सुनिश्चित करे कि शांतिपूर्ण विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन पुलिस-प्रशासन द्वारा न किया जाए। साथ ही, स्थानीय आदिवासी नागरिकों के अधिकारों के मद्देनजर व उक्त परियोजना के व्यापक विरोध को देखते हुए आयोग राज्य सरकार से सिफारिश करे कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हुए उक्त परियोजना को रद्द करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
धन्यवाद।
भवदीय,
चुटका परमाणु संघर्ष समीति; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (म.प्र.); भारत की कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी-लेनिनवादी (म.प्र.); गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (म.प्र.); अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (म.प्र.); ऑल इण्डिया स्टुडेंट्स फेडेरेशन (म.प्र.); ऑल इण्डिया यूथ फेडेरेशन (म.प्र.); क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा (म.प्र.); गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल; पीपल्स इनिशियेटिव अगेंस्ट न्युक्लियर पावर; मध्य प्रदेश महिला मंच; शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल; सेंट्रल गवर्नमेंट पेंशनर्स एसोसिएशन
संपर्कः खुमेंद्र (9993705564), सत्यम (9406538817)
Aisa uchit nahi.
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