महानवासियों ने शुरु किया वन सत्याग्रह

महान संघर्ष समिति  का  एलान- एस्सार महान छोड़ो !

गुजरी 27 फरवरी 2014 को मध्यप्रेदश के सिंगरौली स्थित महान क्षेत्र के 12-14 गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने महान जंगल में प्रस्तावित खदान के लिए पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली द्वारा एस्सार कम्पनी को दिए गए दूसरे चरण के क्लियरेंस के विरोध में अमिलिया में महान जंगल बचाओ जनसम्मेलन आयोजित किया ।  महान संघर्ष समिति ने एलान किया है कि जब तक दूसरे चरण का क्लियरेंस तुरंत प्रभाव से रद्द नहीं किया जाता तबतक  वन सत्याग्रह जारी रहेगा। पेश है महान संघर्ष समिति के वन सत्याग्रह की रिपोर्ट;

पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली द्वारा महान कोल लिमिटेड को दिए गए दूसरे चरण के क्लियरेंस के बाद आयोजित इस जनसम्मेलन में ग्रामीणों ने इस क्लियरेंस को अमान्य करार दिया। उन्होंने उस विशेष ग्राम सभा में वनाधिकार कानून पर पारित प्रस्ताव के फर्जी होने के सबूत दिए जिसके आधार पर दूसरे चरण का क्लियरेंस दिया गया है।

2012 में महान कोल ब्लॉक को 36 शर्तों के साथ पहले चरण का क्लियरेंस दिया गया था, जिसमें वनाधिकार कानून को लागू करवाना भी शामिल था। इसमें गांवों में निष्पक्ष और स्वतंत्र ग्राम सभा का आयोजन करवाना था जहां ग्रामीण यह निर्णय लेते कि उन्हें खदान चाहिए या नहीं। 6 मार्च 2013 को अमिलिया गांव में वनाधिकार कानून को लेकर विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इसमें 184 लोगों ने भाग लिया था लेकिन प्रस्ताव पर 1,125 लोगों के हस्ताक्षर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इनमें ज्यादातर फर्जी हैं। इन हस्ताक्षरकर्ताओं में 9 लोग सालों पहले मर चुके हैं। इसके अलावा अमिलिया के 27 ग्रामीणों ने  लिखित गवाही दी है कि वे लोग ग्राम सभा में उपस्थित नहीं थे लेकिन उनका भी हस्ताक्षर प्रस्ताव में है।

महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता जगनारायण साह ने लगातार इस मामले में  कलेक्टर तथा केन्द्रीय जनजातीय मंत्री  को संलग्न करने के प्रयास के बाद फर्जी ग्राम सभा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है। जनसम्मेलन को संबोधित करते हुए जगनारायण साह ने कहा कि, “विरोधी पक्ष के द्वारा जान से मारने और बदनाम करने की धमकी के बावजूद हमलोग ग्राम सभा की वैधता और इसके आधार पर दिए गए पर्यावरण क्लियरेंस के खिलाफ एफआईआर करने को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं”। महान संघर्ष समिति के सदस्य और उनके बढ़ते समर्थक खदान का जोरदार विरोध कर रहे हैं।

जनसम्मेलन में ग्रामीणों और महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने अपनी ताकत को दिखाते हुए एकजुट होकर ‘एस्सार महान छोड़ो’ का संदेश दिया। महान में खनन से जंगल खत्म हो जायेंगे जिसमें हजारों लोगों की जीविका के साथ-साथ कई तरह के जानवरों और 164 पौधों की प्रजातियां का निवास स्थल है।


महान जंगल में चल रहे जमीनी लड़ाई को दूसरे संगठनों से भी काफी समर्थन मिल रहा है। महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता तथा ग्रीनपीस की सीनियर अभियानकर्ता प्रिया पिल्लई ने जनसम्मेलन में कहा कि, “इस आंदोलन को सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से पूरे भारत में लाखों लोगों का समर्थन मिल रहा है। साथ ही, जनसंघर्ष मोर्चा, आदिवासी मुक्ति संगठन, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन जैसे जनआंदोलन के नेताओं द्वारा भी महान की लड़ाई को समर्थन मिल रहा है। शहरी तथा ग्रामीण भारत की यह एकता बेमिसाल है”।

22 जनवरी 2014 को महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने शहरी युवाओं के साथ मिलकर एस्सार के मुंबई स्थित मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था, जहां महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय के सामने धरना दिया था वहीं ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं ने एस्सार मुख्यालय पर बैनर लहरा कर दुनिया को बताया था कि एस्सार जंगलों के साथ क्या करती है।

जनसम्मेलन को सामाजिक कार्यकर्ता शमीम मोदी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि,
“गरीबों और आम आदमी की संख्या और अन्याय के प्रति लड़ने की इच्छाशक्ति ही इस लड़ाई की ताकत है। सबको एक होकर लड़ना होगा। अपने देश में सारी नीतियां बाजार तय कर रही हैं। इसी बाजारवादी व्यवस्था के दबाव में महान और दूसरे प्रोजेक्ट को क्लियरेंस दिया जा रहा है। सारी सरकारों के पीछे कॉर्पोरेट शक्तियां काम कर रही हैं। असली सरकार कॉर्पोरेट चला रहे हैं। आज जरुरत है ऐसे नेताओं की जो जनता की तरफ से आवाज उठा सके”।

इस बात के सबूत हैं कि महान कोल ब्लॉक को अपारदर्शी तरीके से आवंटित किया गया। खुद मोईली के पूर्ववर्ती मंत्रियों ने महान में खदान का विरोध किया था। इन सबके बावजूद 25 फरवरी 2014 को अंतर-मंत्रालयी समूह जो खदान शुरु न होने वाले कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द करने  पर विचार कर रही है ने महान कोल ब्लॉक को दूसरे चरण के क्लियरेंस के आधार पर क्लिन चिट दे दिया है।

महान संघर्ष समिति ने मांग किया है कि दूसरे चरण का क्लियरेंस तुरंत प्रभाव से हटाया जाय। जबतक जंगल में प्रस्तावित खदान को वापस नहीं लिया जाता है तबतक वन सत्याग्रह जारी रहेगा।
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