केदारघाटी आपदा पीड़ित: अभी भी पुनर्वास के इंतजार में !


उत्तराखंड के केदारघाटी में पिछले साल आयी त्रासदी  में विस्थापित हुये लोग अभी भी इस भयानक ठंड में टेंटों में रात गुजार रहे है. त्रासदी  में बेघर हुए लोगों का अभी तक पुनर्वास नहीं हो पाया है  जो लोग आपदा पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहे उन पर सरकार-प्रशासन की मिलीभगत से हमले किये जा रहे हैं. 31दिसंबर 2013 को साल की अंतिम रात पीड़ितों के साथ टेंट में गुज़ार रहे  केदारघाटी विस्थापन व पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय पर कुछ असामाजिक तत्वों ने हमला करने की कोशिश की हैं। केदारघाटी में आयी त्रासदी के बाद के हालातों पर पंकज भट्ट का महत्वपूर्ण आलेख;

आपदा पीड़ितों के संगठन केदारघाटी विस्थापन व पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश में हुए भीषण जल प्रलय के छ: माह बाद भी बेघर हुए लोगों का पुनर्वास व विस्थापन ना किये जाने पर साल की आखिरी रात केदारघाटी के अगस्त्यमुनि कस्बे में तम्बू लगा कर पीड़ितों के साथ गुज़ारने का निर्णय लिया था। इस क्रम में बड़ी संख्या में आपदा पीड़ित तम्बू लगा कर अगस्त्यमुनि के खेल मैदान में जुटे हुए थे। कार्यक्रम की शुरुवात में अजेन्द्र अजय ने त्रैमासिक पत्रिका "दस्तक" के आपदा पर केंद्रित अंक का लोकार्पण किया। इसके पश्चात स्थानीय लोकगायक धर्म सिंह राणा के आपदा पर आधारित लोकगीतों का कार्यक्रम चला। राणा के गीतों को सुनकर पीड़ितों ख़ास कर महिलाओं की आँखें नम हो उठी।

आपदा पीड़ितों का कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल ही रहा था। इस बीच प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी से जुड़े कुछ असामाजिक तत्व वहाँ पहुंचे और उन्होंने कार्यक्रम में उपद्रव मचाना शुरू किया। हालाँकि, कार्यक्रम में कांग्रेस से जुड़े तमाम आपदा पीड़ित मौजूद थे। उन्होंने भी उपद्रवियों को शांत करने की कोशिश की। मगर उपद्रवी नहीं माने और उन्होंने अजेन्द्र अजय पर हमले की कोशिश की। पीड़ितों ने उपद्रवियों द्वारा अजेन्द्र पर हमले कि कोशिश को नाकाम कर दिया। आश्चयर्जनक तथ्य यह है की पीड़ितों के कार्यक्रम के मद्देनज़र वहाँ पहले से पुलिस तैनात की गयी थी। उपद्रव की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस चौकी से पुलिस इंचार्ज समेत भारी संख्या में फ़ोर्स घटनास्थल पर पहुंची। मगर पुलिस भी असामाजिक तत्वों के दबाब में रही और मूकदर्शक बनी रही। स्थानीय पुलिस के रवैये को देखते हुए अजेन्द्र ने घटना कि जानकारी उच्च स्तर पर दी तो पुलिस हरकत में आयी और उपद्रवियों को वहाँ से हटाया।

दरअसल, प्रदेश सरकार आपदा पीड़ितों के मामले को लेकर लगातार बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने में लगी हुयी है। सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति के सामान्य होने के दावे भी कर रही है। मगर केदारघाटी विस्थापन व पुनर्वास संघर्ष समिति हर बार सरकार के दावों की पोल खोलने में लगी रहती है। इस कारण समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय सत्तारूढ़ दल के कुछ क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों आदि के निशाने पर हैं। अजेन्द्र पर असामाजिक तत्वों के हमले के दुष्प्रयास के पीछे यही कारण माना जा रहा है। घटना के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में अजेन्द्र ने पुलिस की भूमिका को संधिग्ध बताते हुए आरोप लगाया की प्रदेश सरकार आपदा पीड़ितों की आवाज़ को कुचलने के लिए असामाजिक तत्वों का सहारा ले रही है।      
  
Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें