वन अधिकार कानून लागू करने के आधे-अधुरे फैसले


हिमाचल सरकार ने प्रदेश में 7 अप्रैल को आयोजित होने वाली ग्राम सभा में वन अधिकार कानून -2006 के तहत वन अधिकार कमेंटी गठित करने का ऐजेंडा में शामिल करना जल्दवाजी प्रस्तावित किया हैं। इस संर्दभ में निदेशक पंचायती राज ने आदिवासी विकास विभाग से प्राप्त ऐजेंडा का हवाला देते हुए सभी ग्राम सभाओं को 26 मार्च 2013 को पत्र जारी किया और ग्राम सभा में वन अधिकार कमेंटी गठित करने को ऐजेंडा में शामिल करने का निर्देश दिया। हिमालय नीति अभियान सरकार के इस फैसले का स्वागत करती है परन्तु यह बिना जानकारी के जल्दवाजी में लिया फैसला था। जिस कारण बहुत कम ग्राम सभाओं में कमेंटियों का गठन हो पाया है। 

वनाधिकार कानून 2006 जनवरी 2008 से पूरे देश में लागू है परन्तु हिमाचल प्रदेश में इसे जान-बूझ कर अभी तक अमल में नहीं लाया गया। अप्रैल 2008 को पहले चरन में प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में यह कानून लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी परन्तु अभी तक भी वनाधिकार के दावों का निस्तारण नहीं हो पाया है व हस्तांत्रण का काम अधुरा पड़ा है।  जन दवाब व केन्द्रिय सरकार के बार-बार स्पष्टिकरणों के बाद 27 मार्च 2012 को प्रदेश सरकार ने गैर आदिवासी इलाकों में अन्य वन निवासी श्रेणी के लिए इस कानून को लागू करने के आदेश जारी किये गये।  इस के लिए जिला व उप मण्डल स्तर की वन अधिकार समितियों का गठन के आदेश सभी जिलाधीशों को जारी हुए परन्तु एक साल बाद भी इन समितियों का गठन नहीं हो पाया है। राज्य स्तर की निगरानी समित का पून्यगठन भी होना है जो अभी नहीं हुआ है। ऐसे में ग्राम सभा की वन अधिकार समितियां व ग्राम सभाऐं अपनी सिफारिशें किसे भेजेंगी व उन पर क्या कार्यवाही हो पायेगी।

26 मार्च 2013 को जारी पत्र ज्यादा तर ग्राम सभाओं तक नहीं पहुँच पाया है। एैसे में कुछ ही ग्राम सभाओं में वन अधिकार समितियों के गठन को ऐजेंण्डे में शामिल नहीं किया जा सका है। चम्बा, बिलासपुर व कुछ अन्य जिलों ग्राम सभाओं में सूचना ही नहीं पहुँच पाई। वन अधिकार कानून की जानकारी के बिना बहुत सी ग्राम सभाओं ने इस मूदे को कार्यवाही में शामिल नहीं किया। इस कारण कुछ ही जगह इन कमेटियों का गठन हो पाया है।
  1. अतः हिमालय नीति अभियान की मांग है कि वन अधिकार समितियों के गठन से पहले प्रदेश भर में वन अधिकार कानून की जानकारी के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाया।
  2. उप मण्डल, जिला व राज्य स्तर की समितियों का तुरन्त गठन किया जाए।
  3. इस के बाद वन अधिकार समितियों के गठन के लिए विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाए।
  4. आदिवासी विकास विभाग को इस कानून को लागू करने से पहले जनता, सभी राजनैतिक दलों व समाजिक संगठनों से चर्चा करनी चाहिए, जिस के लिये राज्य स्तर का सम्मेलन का आयोजन करना चाहिए।
हिमालय नीति अभियान इस कानून के लागू करने के लिए 2008 से ही कार्य कर रहा है। इस कड़ी में दो बार वन अधिकार कानून की पुस्तिका भी छापी, तीन बार पूरे प्रदेश व्यापि जागरूकता अभियान का आयोजन किया। जलसे व जनसभाओं का आयोजन किया। सरकार के साथ कई बार बार्ता की तथा दसियों पत्र प्रदेश व केन्द्र को लिखे। जुलाई 2010 वन अधिकार कानून के मुल्यांकन के लिए बनी को केन्द्रिय सरकार की सुंयुक्त समिति का प्रदेश में भ्रमण में सहयोग किया।

हम प्रदेश सरकार को इस कानून के लागू करने में सरकार का सहयोग करेंगे परन्तु प्रदेश सरकार को इस बारे पहल करनी होगी।

गुमान सिहं
संयोजक
हिमालय नीति अभियान
कुलभुषण उपमन्यु
अध्यक्ष
हिमालय नीति अभियान
Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें