भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में किसान भागुराम शहीद

गोरखपुर गांव के किसान अपनी आजीविका के मुख्य साधन कृषि भूमि को बचाने और सरकार को भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अपने मज़बूत इरादे जताने के लिए 7 किसान मरणासन्न हड़ताल पर बैठे। 7वें दिन 3 किसानों की हालत ख़राब हो गई। उन्हें अग्रोहा मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया गया। 28 दिसंबर 2010 को एक अनशनकारी किसान भागुराम की मृत्यु हो गई।
किसान संघर्ष समिति ने अपनी फौरी मांगों-
  • भागुराम को शहीद का दर्जा दिये जाने का फाइल रिकमंड करने।
  • भूमि अधिग्रहण के सेक्शन 4 की अधिसूचना को रद्द करने।
  • मृतक के परिजनों को अधिक से अधिक मुआवजा।
-के साथ संघर्ष को और तेज़ कर दिया।

किसान शव को लेकर फतेहाबाद जिला मुख्यालय के सामने से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर धरने पर बैठ गए। धरने पर सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल पहुंचे। धरने पर किसानों के साथ बैठे इनेला, हजका, भाजपा व माकपा नेताओं से विचार-विमर्श व मृतक भागुराम के परिवार के सदस्यों की सहमति के बाद किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग से शव को न हटाने का निर्णय लिया।
लगभग 28 घंटे बाद डीसी ने किसानों की तीनों मांगों पर आश्वासन दिया कि वे मृतक किसान को शहीद का दर्जा दिलाने की फाइल को रिकमंड करने, भूमि अधिग्रहण अधिनियम के सेक्शन-4 के तहत दी गयी अधिसूचना को रद्द करने तथा मृतक किसान के    परिजनों को अधिक से अधिक मुआवजा दिलाने का प्रयास करेंगे। डीसी की घोषणा के बाद किसानों ने शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया।
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