किसान पंचायत का ऐलान: उद्योग नहीं कृषि चाहिए

नागपुर से करीब डेढ़ सौ किलामीटर दूर छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी अंचल में बुधवार को पांच राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा हजारों की संख्या में किसान जुटे। मोहगांव में बुधवार 21 सितंबर को हुई किसान महापंचायत में सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि अब आसपास के किसान अब किसी भी परियोजना के लिए एक इंच जमीन नहीं देंगे।
इस इलाके में पेंच राष्ट्रीय पार्क है जिसका दक्षिणी  हिस्सा नागपुर के जंगल में पड़ता है और वहां अडानी की बिजली परियोजना के खिलाफ जब आंदोलन हुआ तो उन्हें काम बंद करना पड़ा। इसका दूसरा छोर छिंदवाड़ा के इस अंचल में पड़ता है और यहॉं के किसान इस परियोजना के खिलाफ आंदोलनरत हैं।

इसके अलावा इस क्षेत्र में एस के एस पावर प्रोजेक्ट, मेक्सो प्रोजेक्ट, पेंच डाइवर्जन प्रोजेक्ट और एस ई जेड के लिए किसानों की जमीन ली जा रही है। इसको लेकर यहॉं के किसान बहुत नाराज है। किसानों की यह नाराजगी 21 सितंबर की किसान महापंचायत में उभर के सामने आई। राज्य सरकार ने 1985-86 में जो जमीन बिजलीघर बनाने के नाम पर पांच से दस हजार रूपये एकड़ में ली थी अब वही जमीन अडानी समूह को बिजलीघर बनाने के नाम पर साढ़े तेरह लाख रूपये एकड़ के भाव से बेची गई है। किसानों ने सरकार के इस कृत्य की घनघोर निंदा की।

पुलिस और स्थानीय प्रशासन की रोक-टोक के बावजूद बड़ी संख्या में किसान इस पंचायत में हिस्सा लेने पहुचें।
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