मध्य प्रदेश, 14 फरवरी 2018, बडवानी:आज नर्मदा घाटी के करीबन एक हज़ार किसानों, मजदूरों, मछुआरों, पशुपालकों और आदिवासियों ने की बड़वानी मध्यप्रदेश में रैली निकलकर एवम बड़ी आम सभाओं में बजट 2018 के विश्लेषण के साथ उसका धिक्कार किया | इस बजट में प्राकृतिक संसाधनों के हालात का प्रतिबिम्ब तो नहीं ही होता है, जो की GDP में भी नहीं ही होता है, लेकिन किसानों के पक्ष में कहते हुए, इस बजट ने किसानो के तमाम मुद्दों को नकारा है और किसानों की अवमानना की है | हम किसानों में इन तमाम प्रकृति पर जीने वालों का समावेश करते हैं |
सभा में प्रमुख अतिथी के रूप में पधारे ‘आम किसान यूनियन’ के केदार सिरोही जी जो देवास, होशंगाबाद और मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में सक्रिय हैं और जिन्होंने इंदौर शहर को सब्जी और दूध देने से नकार कर किसानो का आन्दोलन सशक्त रूप से चला कर दिखाया, उनके अनुसार जिस फसल बीमा के लिए 4000 करोड़ रूपए से अधिक आबंटित किया वह भी एक धोखा धडी है| लाखों का मलीदा गाँव से ज़बरन फसल बिमा के नाम पर इकठ्ठा किया जाता है और प्रत्यक्ष में जब आपदा आती है तब किसानों को नहीं के बराबर, हजारों में भी नुक्सान भरपाई नहीं मिलती है|
मात्र कंपनियों को फसल बीमा का फायदा होता आया है इसलिए इस बार के बजट में भी4000 करोड़ पिछले साल से अधिक आबंटन किया गया है| बजट की पोल खोल में केदार सिरोही जी ने बताया की किस प्रकार से शिवराज सिंह जी ने बार बार घोषणाये की, भाषण दिए लेकिन भाजपा सरकार ने किसानो के पक्ष में एक भी कदम नही उठाया है इसलिए अभी अभी जो उन्होंने बड़ी राज्य स्तरीय किसान सम्मलेन की बात की, 9 लाख किसानों को एकत्रित लाने की तमन्ना रखी लेकिन कुर्सियां खाली रहीं और शिवराज सिंह जी ने फिरसे घोषणाएं की |
किसानो को कृषि मंत्रालय का दिया बजट कुल बजट के 2.5 प्रतिशत है, यह बात आज इस सभा में मेधा पाटकर ने बताई| यह बात आज साबित हुई की किसानों को बडवानी, धार, अलीराजपुर, खरगोन जैसे जिलों की मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है | अगर कपास जैसी फसल का अकाली वर्षा से नुक्सान भी हुआ तो न्यूनतम मूल्य 4350 होते हुए भी 800 और 1500 में बेचीं है कपास | मकई, ज्वार का भी MSP अनुसार दाम नही मिलता है और सरकार ‘भावान्तर’ के नाम पर व्यापारियों को और कम दाम देने के लिए उद्युक्त कर रही है, तो भावान्तर का भी फायदा लोगों को नहीं दिखता है |
मेधा पाटकर जी से यह बात भी सामने रखी गई की किसानों के नाम से कृषि सिंचाई योजना है लेकिन 96 जिलों में जहाँ 30 प्रतिशत से कम सिंचाई है, वहां पूरी सिंचाई करने के लिए मात्र 2600 करोड़ का आबंटन एक मजाक सा दिखाई दे रहा है | उन्होंने कहा कि बजट में भी जेटली जी ने फिरसे घोषणा की है, 1.5 गुना दाम देने की| लागत कितनी है, यह सही रूपए से तय किये बिना लगत का 1.5 गुना तय करना मतलब ही नहीं रहता | अगर लागत आंकनी है तो A2 के बदले C2 का भी मूल्य, मतलब प्रकृति की पूंजीका मूल्य भी, लगा कर हम लागत आंकेंगे और उसके आधार पर 1.5 गुना फसल का दाम तय करेंगे, यह आश्वासन मोदी जी ने 2014 के चुनाव के प्रचार में दिया था | लेकिन यह सब झूठ साबित हुआ है | यह साल के बजट में फिर से आश्वासन दिया गया है लेकिन इसमें यह स्पष्ट है की C2 के मुताबिक नही A2 के आधार पर आकेंगे वो बात तो पहले से ही चलती आई है और वो भी मूल्य नही मिल रहा है लेकिन उन्होंने कहा है की वो लागत का आंकना या उपज का दाम तय करना, ये भी हम 2020 तक नीति आयोग की मदद से पूरी पद्धति तय करके ही करेंगे | तो इस बजट से आज के रोज कोई ख़ास आश्वासन, न कर्ज मुक्ति के बारे में न हि सही दाम के बारे में, किसानों को मिला है पर कोई राहत नही मिली| बजट किसान के लिए अर्थहीन साबित हुआ है इसलिए बजट किसान के पक्ष में नहीं है |
मजदूरों मछुवारों को भी बजट में ना रोजगार की और ना ही मछली के दाम की गारंटी मिली है | पूरे मछुवारों पर इतने संकट आ रहे हैं, समुन्दर किनारे होते हुए लेकिन उनके लिए 10000करोड़ रूपए का आंकना, जिसमे इंफ्रास्ट्रक्चर तक सब कुछ शामिल है , यह बिलकुल ही कमज़ोर है और धोकाधादी है | दुग्ध व्यवसाय याने पशुपालकों को भी केवल किसान क्रेडिट कार्ड देना और उनके नाम पर एक बहत का आयोजन, बिना किसी नज़रिए को घोषित करते हुए किया गया है, जो पर्याप्त नही है |
आदिवासियों के लिए वन बंधू कल्याण योजना के तहत ही वनोपज का दाम तय किया जाता है, उसके लिए बजट आबंटन होता है लेकिन उसका आबंटन 500 करोड़ से अधिक था जो अब 300 करोड़ पर लाया गया है | किसानों के उपज के लिए जो मार्किट इंटरवेंशन का आवंटन होता है वो पिछले साल 950 करोड़ तक बढाया गया था इस बार वो फिरसे 200 करोड़ तक लाया गया है| तो ये पूरी हकीकत बताती है की बजट कॉर्पोरेट्स को अधिकाधिक फ़ायदा देने वाला बजट है |
गाँधी जी के नाम पर गाँधी जयंती मनाने की लिए उन्होंने घोषणा बजट में की है पर गाँधी जी की जो अर्थशास्त्रीय सोच थी, विकास की अवधारणा थी, वेह इसमें प्रतिबिंबित नही है, इसलिए गृह उद्योग और ग्राम उद्योग का नाम तक नहीं लिया गया है बजट में| कुल मिलकर इस बजट में अगर आप देखेंगे, जो योजनायें रखी गयी हैं वेह अधिकतर कर्ज देने की योजनायें रखी गयी हैं |
राजेश बैरागी, किसान संघर्ष समिति, झाबुआ ने बताया की अलीराजपुर जैसे जिले में, मात्र 3 सालों में 462 आदिवासियों की आत्महत्याएं हुई हैं | आत्महत्या रोकने के लिए, कर्जा ना हो इस दिशा में कृषि का आयोजन और आवंटन चाहते हैं | नर्मदा घाटी के लोगों ने गंगा पर जो एक्शन प्लान जारी है उसकी पोल खोल करके मेधा पाटकर जी ने बात राखी की नर्मदा के लिए कोई विशेष आवंटन नहीं हैं | नर्मदा प्रदूषित हो रही है, नर्मदा मृतवत हो रही है, न केवल मध्यप्रदेश में लेकिन गुजरात में भी | ऐसी स्थिति में मात्र 1.5 करोड़ रूपए सरदार सरोवर के नाम पर जो बजट में रखा गया है वह हास्यास्पद है, क्यूंकि यहाँ पुनर्वास के लिए ही 900 करोड़ रूपए की घोषणा की है | तो नर्मदा घाटी के लोगों ने खेती बचाना, गाँव बचाना और कृषि घाटे का सौदा नहीं रहने देने का संकल्प लेते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के साथ आगे बढाने का निर्णय लिया और बजट की प्रति जला कर, विरोध जताते हुए बजट को नामंजूरी घोषित की |
हिमशी सिंह, जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की ओर से इस बात को आगर किया गया कि बजट देखे तो पता चलता है कि हर क्षेत्र में, शिक्षा से ले कर स्वास्थ्य तक , बिमा योजना हो या इंफ्रास्ट्रक्चर की बात हो, इसके लिए कंपनियां लालायित हैं और किसानो की उपज पर भी अगर कंपनियों का फॉर्म लेकर प्रोडूसर कंपनी बनायेंगे तो उनको बाकी टैक्सेज की छूट मोदी सरकार ने दी है | किसान संगठनो की मूल मांगो को, जिनमे पूर्ण कर्जा माफ़ी और MSP में संशोधन मुख्य थी, उन्हें पूर्ण तरह से नकारा है और निजी कंपनियों के लिए इसमें बजट आवंटित किया गया है | एक तरफ सरकार ने हाल हि में 24000 करोड़ के 36 रफैल लड़ाकू विमान और 2000 करोड़ की रायफल और एल.एम.जी खरीद. एक फ़ौज के हाथ में दिया, लेकिन किसान, मजदूरों, मछुवारों, शहरी गरीब की जब बात आती है तब हमेशा ही सरकार के पास संसाधनों की कमी पाई जाती है|
देवराम कनेरा ने कहा कि कंपनियों का फायदा और किस तरह हो रहा है, सार्वजनिक उद्योगों से पूंजी निवेश कम करने की बात, वो पिछले बजट में 72 हज़ार करोड़ रखी थी, एक लाख करोड़ तक बढ़ गई| इस बार 80 हज़ार करोड़ तक लक्ष्य रखा है तो अर्थात 1.5 लाख करोड़ तक जायेगा | ये सरकारी कंपनिया बंद करने की साजिश रोजगार निर्माण करने वाली नहीं है बल्कि निजीकरण को बढ़ावा देने वाली है और इसलिए रोज़गार के पक्ष में भी ये बजट नही है | (मात्र 3764 करोड़ रु.) जिनकी लेन देन एक साल की 250 करोड़ तक है, ऐसी कंपनियों को छोटी कंपनियां माना है, उन्हें देने की बात है | क्या इससे पर्याप्त रोज़गार प्राप्त होगा ? मध्यप्रदेश में मजदूरों की आत्महत्याएं किसानो से ज्यादा हुई, यह बात आज घोषित की गई|
इस आम सभा में बडवानी नगर कांग्रेस के चंदू भाई यादव जी ने मंडी की समस्याएँ एवं हर उपज की, उपाज से टमाटर तक की हालात उजागर की| देवेन्द्र तोमर तोमर तथा सनोबर मंसूरी और श्यामा बहन मछुवारा ने नर्मदा की आज की हालत और शासन से हो रहा दुर्लक्ष पर कड़ी टिप्पणी करके कहा कि शासन प्रकृति पर जाने वालों के तथा प्रकृति को बछाने के पक्ष में नहीं है | देवेन्द्र तोमर जी ने नर्मदा घाटी के किसानों पर हर प्रकार से जो संकट आया है और नुकसान की भरपाई नहीं मिल रही है, यहाँ की खेती की बर्बादी हो रही है, यह बात भी बताई | जागरूक आदिवासी दलित संगठन के हरी सिंग भाई ने कहा कि आदिवासियों पर आपत्ति आने से आदिवासी मजदूर बनाएं जा रहे हैं और कंपनियां मालिक बन रही हैं| इस बात का उन्होंने कड़ा निषेध किया |
श्यामा बहन मछुवारा ने मछुवारों की तरफ से, भागीरथ धनगर ने धनगरों की तरफ से अपनी बात सभा में रखी | उन्होंने किसान के जैसे ही हम स्वयं रोजगार में घाटे में ही है, इसलिए नीति बदलने का आग्रह रखा | सनोबर बी और राहुल यादव ने आभार प्रदर्शन किया |
कैलाश अवास्या, भगीरथ धनगर, रणवीर तोमर, महेंद्र तोमर, सनोबर बी, कमल यादव
संपर्क: 9179617513
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