-तामेश्वर सिन्हा
सुपेबेड़ा में पेयजल की समस्या से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। अब तो ग्रामीणों का कहना है कि हीरा खदान क्षेत्र से लोगों को निकालने के लिए उन्हें साजिशन मारा जा रहा है।
सुपेबेड़ा, गरियाबंद। साभार : गूगल |
आप नेताओं के साथ राज्यपाल को ज्ञापन देने रायपुर पहुंचे सुपेबेड़ा के ग्रामीण।
29 जनवरी को सुपेबेड़ा के दर्जन भर ग्रामीण आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचे और रीडर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनका गांव हीरा खदान क्षेत्र में होने की वजह से सरकार उन्हें यहां से बाहर निकालना चाहती है। यही वजह है कि उन्हें इलाज बिना मारा जा रहा है। हालांकि सरकार ने रायपुर के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में इस गांव के लिए अलग से एक वार्ड बनाया है जहां किडनी पीड़ितों का इलाज किया जाता है। सरकार यहां इलाज का पूरा खर्च उठाने का भी दावा करती है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक डॉ. संकेत ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि हीरा और एलेक्जेंडराइट खदानों से भरपूर ग्राम सुपेबेड़ा के ग्रामीणों को वहां से विस्थापित करने का अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है। यह सिर्फ संयोग मात्र नहीं है कि अवैध उत्खनन के बाद से ही पानी प्रदूषित हुआ हो।
सुपेबेड़ा से एक किमी की दूरी पर हीरा खदान स्थित है। 1996-97 में यह सर्वे हुआ था। सरकार ने 2004-05 में पूरे इलाके को संरक्षण में ले लिया। खदान को मुरुम कंक्रीट डालकर बन्द कर दिया गया, उसके बाद ही सुपेबेड़ा और आस-पास खदान क्षेत्र में किडनी की बीमारी शुरू हो गई।
डॉ. संकेत ठाकुर ने सवाल उठाया कि सरकार की जांच में जब पानी प्रदूषित होने का खुलासा हो चुका है तो सरकार पेयजल स्वच्छ करने का कोई उपाय क्यों नहीं कर रही है? सरकार की यह उदासीनता स्वाभाविक रूप से एक बड़े षड्यंत्र का इशारा करती है।
आप पदाधिकारियों के साथ सुपेबेड़ा गांव के रहवासी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि शासकीय अधिकारियों के कथन के आधार पर 58 मौत हो चुकी है, लेकिन आज सुपेबेड़ा में करीब 235 लोग किडनी, लीवर की बीमारी से ग्रसित हैं। छोटे बच्चों, महिलाओं के चेहरों व पैरो में सूजन दिखाई दे रही है। कम उम्र की माता, बहन, बहू विधवा हो गई हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में जो एक बार बिस्तर पर लेट गया उसकी मौत निश्चित है। ग्रामीणों के मुताबिक वर्ष 2005 से किडनी ग्रसित मौतों का सिलसिला चल पड़ा है। कुछ साल पहले ही देवभोग विकासखंड क्षेत्र में काफी लोग कि मृत्यु मलेरिया से भी हुई थी।
इस सब समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक से गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर ने मृतक आश्रितों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा देने का भी एलान किया था लेकिन ये मुआवज़ा आज तक नहीं मिला। इसका अलावा मौतों का सिलसिला कैसे रुके इसके लिए कोई ठोस प्रयास भी नज़र नहीं आ रहे।
बीच-बीच में गांव वालों को दूसरी जगह बसाने की बात कही जाती है लेकिन गांव वाले इसका विरोध करते हैं। उनके मुताबिक वे अपनी ज़मीन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
साभार : जनचौक
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