महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले के सुरजागड़ क्षेत्र में 70 ग्राम सभाओं द्वारा संसाधनों की लुट और दमन के खिलाफ चल रहे जन संघर्ष को 40 से ज्यादा देशों में जमीन के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे 70 से ज्यादा जन संगठनों ने गडचिरोली में चल रहे खनन विरोधी जन आन्दोलन को अपना समर्थन दिया है। ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, झाम्बिया, टुनीशिया, मोरिशश, सयुक्त राज्य अमेरिका (USA), तंज़ानिया, बंगलादेश, वेनुजुएला, अल्जेरिया, इक्वाडोर, चिली, अर्जेन्टीना, पेरू, यूनाइटेड किंगडम (UK), पोर्तोरिको, स्वीडन, पलिस्तिन, मैक्सिको, रोद्रिगुए आयलैंड, क्यूबा, कनाडा, जर्मनी, पारागुए, अर्बेनिया, हैती, कश्मीर, कुर्दिस्तान, झिम्बाब्वे, केनिया, मोरोक्को, घाना, नेपाल, नायजेरिया, श्रीलंका, बुर्किना फ़ासो, पाकिस्तान, सेनेगल, त्रिनिदाद अंड टोबैगो यादी। हम देश भर के जन संगठनों, राजनैतिक दलों, बुध्दिजीवीओं, युवाओं से अपील करते है की वे गडचिरोली में जबरन थोपी जा रही इन खनन परियोजनाओं की वास्तविकता समझें, स्थानिय लोगों पर किये जा रहे दमन और हिंसा की घटनाओं के विरोध में आवाज उठाये ;
गडचिरोली जिल्हे (महाराष्ट्र राज्य) के सुरजागड़ क्षेत्र में चल रहे संसाधनों की लुट और दमन के खिलाफ के जनता के आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए, और पूंजीवादी लुट के खिलाप आवाज को बुलंद करके जन केन्द्रित विकास प्रक्रिया को मजबूती देने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जमीन के अधिकार को लेकर काम करने वाले जन संगठनों ने अपना समर्थन जारी किया है.
बहुराष्ट्रीय एवं निजी कंपनियों के मुनाफाखोरी के दबाव तले विकास और रोजगार के नाम पर देश भर में चल रही संसाधनों की लुट और सत्ता द्वारा हिंसा, मूलनिवासी समुदायों का भारी संख्या में विस्थापन, जंगल और पर्यावरण के दोहन पर भारी चिंता जताते हुए पहले भी दुनिया भर के विभिन्न जन संगठनों ने नियामगिरी संघर्ष, पॉस्को प्रतिरोध संघर्ष, नंदीग्राम-सिंगुर के संघर्ष को अपना समर्थन और सहयोग दिया है.
वर्त्तमान में गडचिरोली में किये जा रहे खनन प्रयासों का विरोध करते हुए सुराजगड़ में खनन और अन्य प्रस्तावित खदानों के खिलाप चल रहे स्थानिक जनता के संघर्ष को समर्थन देते हुए विभिन्न जन संगठनों ने आंतरराष्ट्रिय समर्थन पत्र जारी किया. इस समर्थन पत्र में कहा की “ये सभी खदाने मूलनिवासी समुदायों के पूजा स्थलों को, उन्हके संस्कृती को नष्ट कर देंगे, साथ ही इन्ह खदानों से पर्यावरण का भी भारी नुकसान होंगा”, और आगे ये स्पष्ट किया की “हम मध्य भारत एवं विशेषतः गडचिरोली क्षेत्र में विनाशकारी खनन के खिलाप संघर्ष कर रहे स्थानिक मूलनिवासी एवं अन्य समुदायों के आन्दोलन के साथ एकता मे खड़े है और हम उनके जनतान्त्रिक संघर्ष का समर्थन करते है. हम लोकतान्त्रिक तरीके से खनन का विरोध कर रहे स्थानिको और आन्दोलन कार्यकर्तायों पर सरकार द्वारा किये जा रहे सरकारी दमन की कड़ी निंदा और विरोध करते है. कारपोरेट घरानों के अधिपत्य को प्रस्थापित करने हेतु विरोध के हर एक स्वर को भारी सैनिकरण, फर्जी मुकदमों में गिरफ्तारिया, प्रताड़ना और हत्या जैसे हिंसक तरीकों की सरकारी निति का हम विरोध करते है.”
अपने समर्थन पत्र में आगे इन्ह जन संगठनों और आन्दोलनों भारत की केंद्र सरकार और महाराष्ट्र की राज्य सरकार से ये आवाहन किया है की वे स्थानिक मूलनिवासी एवं अन्य समुदायों के विरोध के तरफ ध्यान दे और जनता की मांगों को माने.
- सुरजागड़ पहाड़ पर खनन को तुरंत रोका जाये और सुराजगड़ पहाड़ पर खनन को लेकर किये सभी प्रस्ताव रद्द करे;
- गडचिरोली जिल्हे में प्रस्तावित सभी खदाने (सुरजागड़, बांडे, झेंडेपार, दमकोंडवाही, पुसेर) के पर्यावरण मंजूरी रद्द किये जाये;
- खनन का विरोध कर रहे ग्रामीणों और कार्यकर्तायों के ऊपर लगाये गए सभी मुकदमे तुरंत रद्द किये जाये, जेल में बंद बेगुनाह ग्रामीणों को तुरंत रिहा किया जाये;
- क्षेत्र में खनन के सुरक्षा में किये जाये रहे सैनिकरण को रोका जाये, और पेसा, वन अधिकार जैसे जनपुरक कानूनों का प्रभावी अमल किया जाये.
ये मुख्य मांगे इस अंतरराष्ट्रीय समर्थन पत्र ने आगे रखी है.
ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, झाम्बिया, टुनीशिया, मोरिषाश, संयुक्त राज्य अमेरिका(USA), तंज़ानिया, बंगलादेश, वेनुजुएला, अल्जेरिया, इक्वाडोर, चिली, अर्जेन्टीना, पेरू, यूनाइटेड किंगडम (UK), पोर्तोरिको, स्वीडन, पलिस्तिन, मैक्सिको, रोद्रिगुए आयलैंड, क्यूबा, कनाडा, जर्मनी, पारागुए, अर्बेनिया, हैती, कश्मीर, कुर्दिस्तान, झिम्बाब्वे, केनिया, मोरोक्को, घाना, नेपाल, नायजेरिया, श्रीलंका, बुर्किना फ़ासो, पाकिस्तान, सेनेगल, त्रिनिदाद अंड टोबैगो यादी 40 से ज्यादा देशो में जमीन के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे 70 से ज्यादा जन संगठनों, आंदोलनों ने इस अंतरराष्ट्रीय समर्थन पत्र द्वारा गडचिरोली में चल रहे खनन विरोधी जन आन्दोलन को अपना समर्थन साझा किया है.
पिछले कही सालों से सरकार निजी कंपनियों द्वारा गडचिरोली के सुरजागड, आगरी-मसेली, बांडे, दमकोंडवाही आदि जगहों पर लोह खनन चालू करने के प्रयास कर रही है. इसके साथ साथ धानोरा, चमोर्शी, भामरागड इस तालुका में भी खदानें प्रस्तावित होने की प्रक्रिया चल रही है. जिसमें हजारों हेक्टेयर वन भूमि और अन्य भूमि नष्ट हो जाएगी. इन खदानों का स्थानिक जनता संघटीत होकर जोरदार विरोध कर रही है. हाल ही में कोरची तहसील में झेंडेपार में खनन को लेकर ली गयी जनसुनवाई को लोगों के भारी प्रतिरोध के वजह से रद्द करना पड़ा.
ये अंतरराष्ट्रीय समर्थन पत्र स्थानिक समुदायों के आन्दोलन को और मजबूती देगा.
जारीकर्ता:
केन्द्रीय समन्वयन समिति,
विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन.
केन्द्रीय कार्यालय: सराई तांड, रांची विश्वविद्यालय पोस्ट आफिस, रांची, झारखंड
संपर्क: janandolan@gmail.com, +91 08757579898 +91 8390045482, +91 9405324405
आवाहन:
सुरजागड़ इलाका पारंपारिक गोटूल समिती का आवाहन
साथियों,
महाराष्ट्र राज्य की पुर्वीय सीमा पर स्थित गडचिरोली जिल्हा अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिये जाना जाता है. यहा लगभग 78% से ज्यादा भूमि पर घने वनक्षेत्र है. जिल्हे का पुर्वीय क्षेत्र जो की उत्तर में कोरची से शुरू होकर धानोरा, एटापल्ली, भामरागड, अहेरी होते हुए दक्षिण में सिरोंचा तक जाता है, ये सम्पूर्ण क्षेत्र आदिवासी समुदायों का निवासस्थल है. इन्ह आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थानिको के पारंपरिक क्षेत्र है जिन्हें ‘इलाका’ या ‘पट्टी’ कहा जाता है. शेकडो सालो से इस क्षेत्रों में ग्रामसभाए सामूहिक, सांस्कृतिक, धार्मिक रूप से एक दुसरे से जुडी हुयी है.
आदिवासी एवं अन्य निवासी इस वन व्याप्त क्षेत्र, पर्यावरण की रक्षा करते आये है. वनों की रक्षा द्वारा वन आधारित शास्वत उपजीविका के स्त्रोतों को स्थानिक जनता बढ़ावा दे रही है. जनता के शंघर्ष के वजह से निर्मित ‘पेसा’ और ‘वन अधिकार’ कानूनों के प्रावधानों का अमल कर स्वशासन एव स्वनिर्णय प्रक्रिया से ग्रामसभाए जल, जंगल, जमीन पर अपने हक़ को मजबूती दे रहे है. लघु वन उपजो की बिक्री से ग्रामसभायों और स्थानिक लोगों के आमदनी में बहोत इफाजा हुआ है. और जनता अपने शास्वत विकास की और बढ़ रही है.
ऐसें में जनता के संसाधनों को उनके हाथों से छिन लेने के प्रयास व्यवस्था द्वारा किये जा रहे है. पिछले कही सालों से सरकार निजी कंपनियों द्वारा गडचिरोली के सुरजागड, बांडे, दमकोंडवाही, आगरी-मसेली, झेंडेपार, पुसेर आदि जगहों पर लोह खनन चालू करने के प्रयास कर रही है. इसके साथ साथ धानोरा, चमोर्शी, भामरागड इस तालुका में भी खदानें प्रस्तावित होने की प्रक्रिया चल रही है.
जिसमें हजारों हेक्टेयर वन भूमि और अन्य भूमि नष्ट की जाएगी. सैकडों गांवो पर विस्थापन का खतरा और हजारों परिवारों को बेघर किया जा सकता है. इसमें आदिवासियों के साथ साथ अन्य समुदायों पर भी सीधा प्रभाव पड़ेगा. पर्यावरण का नुकसान और भी गंभीर परिणामों को सामने लायेगा.
सुरजागड़ में जनता के भरी विरोध के बावजूद भी खानन शुरू किया गया है. अब तक गडचिरोली जिल्हे में कोई भी प्रकल्प या प्रोजेक्ट प्रस्तावित नहीं था. फिर भी यहाँ प्रोजेक्ट होगा कहके स्थानिक लोगो को गुमराह किया जा रहा है. और अब प्रोजेक्ट के नाम पर ‘स्पांज आयरन’ का और भी विनाशकारी प्रोजेक्ट थोपकर खनन को शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है.
इन खदानों का स्थानिक जनता संघटीत होकर जोरदार विरोध कर रही है. लोगो को बहकाने की, उन्हें खरीदने की हर एक कोशिश विफल होती देख विरोध करती जनता पर दमन किया जा रहा है. लोग समझ के संगठित न हो पाए इसलिए दलाल जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगो को गुमराह किया जा रहा है. विस्थापन के प्रतिरोध में आन्दोलन को संगठित कर रहे आंदोलनकर्मियों को प्रताड़ित किया जा रहा है. बिना किसी कागजी कार्यवाही से दिन भर थाने में बिठा के रखना, घरों से आन्दोलन के सामान-पर्चे-बैनर यादी लेके जाना, पूछताछ के नाम पर लोगो को गैरकानूनी तरीके से पकड़कर लेके जाना, उन्हपर फर्जी मुकदमे डालकर थानों में और जेलों में बंद किया जा रहा है. ये खनन विरोधी आन्दोलन को कमजोर करने की सरकार की नाकाम कोशिश ही है.
पूंजीवादी कंपनियों के फायदे के लिए सरकार इन खदानों को बढ़ावा दे रही है. प्रशासन लोगो की बातों को सुन भी नहीं रही. पूंजीवादी विकास और तथाकथित रोजगार के नाम पर हजारों लोगो का रोजगार ख़तम किया जा रहा है. ये तो सीधे तौर पर व्यवस्था द्वारा लोगों के ऊपर की गयी हिंसा ही है. पर सुरजागड़ की जनता अडिग है अपने विरोध पर और भारी दमन के बावजूद भी इन्ह जनविरोधी खदानों का विरोध कर रहे है.
हम सुरजागड़ में शुरू की जा रही जनविरोधी खनन परियोजनायों को बंद करने की और गडचिरोली जिल्हे में प्रस्थापित सुरजागड, बांडे, दमकोंडवाही, आगरी-मसेली, झेंडेपार, पुसेर आदि सभी खनन करारों (एम.ओ.यु.) को रद्द करने की बात करते है.
हम देश भर के जन संगठनो, राजनैतिक दलों, बुध्दिजीवीयों, युवायों से अपील करते है की वे गडचिरोली में जबरन थोपे जा रही इन्ह खनन परियोजनायों की वास्तविकता समझें, स्थानिक लोगों पर किये जा रहे दमन और हिंसा की घटनायों के बारे में आवाज उठाये. संसाधनों की लुट, खनन और दमन के खिलाप संघर्ष कर रहे स्थानिक जनता के आन्दोलन को राष्ट्रीय स्तरपर समर्थन दे और लोकतांत्रित एवं जन केन्द्रित विकास प्रक्रिया के निर्माण के सामूहिक संघर्ष को मजबूत बनाये.
सुरजागड़ इलाका पारंपरिक गोटुल समिति
(सुरजागड़ क्षेत्र के सभी 70 ग्रामसभयों की सामूहिक समिति )
त: एटापल्ली, जिल्हा: गडचिरोली, महाराष्ट्र राज्य
जारी करने में सहयोग: विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन, महाराष्ट्र
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