मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ दक्षिण भारत के किसान एकजूट, किसान मुक्ति संसद में जुटेंगे देशभर के किसान; 20 नवम्बर, नयी दिल्ली


किसान मुक्ति यात्रा के दूसरे चरण का समापन 23 सितम्बर 2017 को बगलूरू में हुआ। 8 दिविसय यात्रा पांच राज्यों में से गुजारी, यात्रा के दोरान 50 से अधिक सभाएं हुई। जिनमे 500 से 25000 हजार तक किसान शामिल हुए। आन्ध्र प्रदेश, तेलगाना और तमिलनाडु में 20 से 30 किसान संगठनों ने मिल कर यात्रा की मेजबानी की। केरल में अखिल भारतीय किसान सभा तथा कर्नाटक में रयत संघ के दोनों थडो ने कार्यक्रम आयोजित किए।

किसान मुक्ति यात्रा की खाशियत यह थी की महिला किसानों, खेतिहर मजदूरों, जैविक खेती करने वाले किसानों ने बढ़ चढ़ कर हिशेदारी की। आंध्र परेश में याईआरएस कांग्रस, तमिलनाडु में डीएमके-एडीएमके के किसान नेता मंच पर दिखाई दिए। वामपंथी पार्टी सीपीएम, सीपीआइ, स्वराज इंडिया के कार्यक्रताओं ने भी कार्यकर्मों में भागेदारी की। एक मिनी बस, 4 गाड़ियों के साथ इस किसान मुक्ति यात्रा का  नेतृत्व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सयोजक बीएम सिंह, सांसद राजू सेठी, योगेन्द्र यादव, डॉ. सुनीलम, कविता करुघती, किरण वीस्सा सहित 12 राज्यों के 45 किसान नेताओं ने किया।

किसान सभाओं के दौरान सरकार से सभी किसानों की कर्जा मुक्ति तथा लगत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय कर सभी कृषि उत्पादों की खरीद सुनिशित की जाने की मांग की गई तथा 20 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित किसान मुक्ति संसद में अधिक से अधिक सख्या में पहुचने की अपील की गई।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की महासभा की बैठक 14 अक्टूबर को 10 से 5 बजे तक गाँधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित की गई है जिसमे देश भर के किसान संगठनों को आमंत्रित किया गया है।

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