-दीपक रंजीत
7 मई 2017; झारखण्ड में छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी एवं जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के आह्वान पर संयुक्त वन रक्षा कमिटी के आयोजन में ग्राम सभा से वनाधिकार विषय पर खुचीडीह, चौका, चांडिल, सरायकेला- खरसावां के स्कूल प्रांगण में एक दिवसीय संगोष्टी सम्पन्न हुआ।
संगोष्टी को संबोधित करते हुए झारखंड वनाधिकार मंच के कुमार दिलीप , राधा कृष्ण सिंह मुंडा ओर डॉ सुनीता ने बताया कि आदिवासी एवं गैर आदिवासी परंपरागत वन निवासियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने वनाधिकार कानून 2006 को गठन किया। लेकिन अफसोस की बात यह है कि एक दशक बीतने के बाद भी झारखंड की जमीन पर नहीं उतरा है। वह विभाग दावेदारों के अधिकारों पर कुंडली मारकर बैठ गया है।
मकंच के प्रतिनिधियों ने संगोष्टी में विस्तार से बताते हुए बताया कि अधिकार हाशिल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया क्या है। व्यक्तिगत दावा , सामुदायिक दावा तथा सामुदायिक संसाधन दावा से संबंधित फार्म भरने की विस्तृत जानकारी दी। इस संबंध में तय किया गया कि आगामी 28 मई को इस इलाके के सभी गांव से प्रतिनिधियों को बुलाकर फार्म भरने का अभ्यास कराया जाएगा तथा कानूनी मसलो पर चर्चा की जाएगी।
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