राजस्थान के अजमेर जिले के किशनगढ़ एयरपोर्ट के निर्माण को अब राज्य सरकार समापन की ओर ले जाना चाहती है। राठौरों की ढाणी के 125 परिवोरों को बिना पुनर्वास किए ही 7 दिन में हटाने की योजना सरकार ने बना ली है। 9 फरवरी 2017 को हुई मुख्य सचिव की बैठक में यह तय किया गया है । पढ़े पीयूसीएल, राजस्थान की राज्य अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव का अपडेट;
9 फ़रवरी को एक बैठक मुख्य सचिव के साथ, सभी स्टेक होल्डर, राठौरों की ढाणी के विस्थापित को छोड़ कर, रखी गई। हमें इसका पता था तो हम लोग ढाणी के प्रतिनिधियों के साथ मुख्य सचिव के पास 8 को ही पहुँच गए और हमने कहा कि एयरपोर्ट के विरोध कभी भी ढाणी वालों ने नहीं किया, क्योंकि जब तक उनको मालूम पड़ा था तब तक सारे गांव का अवार्ड मुआवज़ा ट्रेजरी पहुँच चुका था।
अनेको धरनों के बाद उन्हें 8 गुना डीएलसी रेट कृषि भूमि के लोए कन्विन्स कर कॉलेकयिर ने 2013 में धरना उठवा दिया। फिर नहीं दिया। डीएलसी रेट कम कर 8 गुना कर दिया। जो गांववालो को मनजूर नहीं था।
फिर 2014 में गांव वाले धरने पर बैठ गए। मार्च 2015 में पीयूसीएल में आये। तब से हम सभी राज्य के अलग अलग संगठन लगे हुए हैं। अनेको बार विभिन स्तर पर बैठक आयोजित करवाई। मुख्य सचिव, मुख्य मंत्री से लेकर एसडीम तक। पर कुछ नहीं हुआ, केवल आश्वासन।
राजस्थान हाई कोर्ट में भी रिट याचीका लगाई गई। कोर्ट ने स्टे देने से इंकार किया, सरकार ने अपने जवाब में जितने भी आरोप थे उन्हें माना नहीं, जैसे पहली सुचना एयरपोर्ट बनने की और गाओं के विस्थापित होने की सिंधी अखबार में निकली।
उसका भी हमारे वकील ने दिया गया, पर कोर्ट में सुनवाई पर जब भी आया, उस दिन लिस्ट में नीचे होने के कारण रह जाता। अब भी 10 मार्च को सुनवाई है।
तो हमने मुख्य सचिव को कहा कि आबादी भूमि के पैसे दे दें, न की 700साल पुराने उनके गांव को अतिक्रमण कह कर ।
दूसरा सभी व्यस्क बच्चों को ज़मीन, अभी 79 परिवारों ही बाशिंदऐं माने गए। जबकि व्यस्क बच्चों को जोड़ कर 125 परिवार होते हैं।
खड़े में किशनगढ के बहार प्लॉट्स दिए, उसके भरने के पैसे नहीं दिए।
अभी तक 4 लोगों ने ही घर बनवाया है। अन्य सभी गाव् में ही हैं। क्योंकि प्लॉट्स बहुत छोटे हैं और दूध का धंधा करते है। इसलिए हमने 60 बिघा गाव् की सवाई चक भूमि जो अधीग्रहंन में नहीं आयी वहां बाड़ा बनाने की जगह मांगी। जैसे जेडीए द्वारा बनाई मिल्क मैंन कोलोनी, हमने कहा गाय पर नारा लगनी वाली सरकार मिल्क वुमेन कॉलोनी बनाए क्योंकि यह धंदा औरतें करती हैं। समुदायक भवन बनवाना व मंदिर की ज़मींन देना, और खेती की ज़मीन की सही रेट देना।
मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया की ज़रूर यह ख्याल करेंगे, कलक्टर से संवाद रख्वायेंगे। जब हम लोगों ने कहा कि 9 को ढाणी के बशिनदो को भी बुलाया जाय तो चिढ गए।
खैर 9 को मीटिंग में जाने से पहले कलक्टर गौरव गोयल ने एसडीमके ज़रिये बुला कर कहलवाया की 4 दिन में खली करवा देंगे गांव।
मीटिंग से लौटने पर 10 को बिजली काटने के नोटिस मिल गए, उन कुओं का भी जो अभी अधिग्रहण में नहीं आई।
अदालत में तो सोमवार या मंगलवार को सुनवाई की कोशिश रहेगी, पर इटीवी में दिन भर चला की मुख्य सचिव की बैठक में 7 दिन में खाली करवाने का तय हुआ क्योंकि एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने धमकी दे दी की जुलाई में वे ट्राईल रन नहीं करेंगे अगर यह गांव नहीं उठेगा।
अपील सभी को
साथीयो, रोज़ एक टोली को राठौरों की ढाणी पहुंचना चाहिए मीडिया सहित। राजस्थान भर के समूह एक, एक दिन तय करले। सोमवार को पीयूसीएल के साथ अनंत, त्रिपाठीजी, सिस्टरगीता ने ढाणी के बाशिंदों के साथ प्रेस कोन्फरेंस अजमेर में सोची है।
प्राथिमकता पर हम इस पर ध्यान दें और ढाणी के बाशिंदों को न्याय दिलवाएं नहीं तो सब सड़क पर होंगे एक हफ़्ते बाद।
9 फ़रवरी को एक बैठक मुख्य सचिव के साथ, सभी स्टेक होल्डर, राठौरों की ढाणी के विस्थापित को छोड़ कर, रखी गई। हमें इसका पता था तो हम लोग ढाणी के प्रतिनिधियों के साथ मुख्य सचिव के पास 8 को ही पहुँच गए और हमने कहा कि एयरपोर्ट के विरोध कभी भी ढाणी वालों ने नहीं किया, क्योंकि जब तक उनको मालूम पड़ा था तब तक सारे गांव का अवार्ड मुआवज़ा ट्रेजरी पहुँच चुका था।
अनेको धरनों के बाद उन्हें 8 गुना डीएलसी रेट कृषि भूमि के लोए कन्विन्स कर कॉलेकयिर ने 2013 में धरना उठवा दिया। फिर नहीं दिया। डीएलसी रेट कम कर 8 गुना कर दिया। जो गांववालो को मनजूर नहीं था।
फिर 2014 में गांव वाले धरने पर बैठ गए। मार्च 2015 में पीयूसीएल में आये। तब से हम सभी राज्य के अलग अलग संगठन लगे हुए हैं। अनेको बार विभिन स्तर पर बैठक आयोजित करवाई। मुख्य सचिव, मुख्य मंत्री से लेकर एसडीम तक। पर कुछ नहीं हुआ, केवल आश्वासन।
राजस्थान हाई कोर्ट में भी रिट याचीका लगाई गई। कोर्ट ने स्टे देने से इंकार किया, सरकार ने अपने जवाब में जितने भी आरोप थे उन्हें माना नहीं, जैसे पहली सुचना एयरपोर्ट बनने की और गाओं के विस्थापित होने की सिंधी अखबार में निकली।
उसका भी हमारे वकील ने दिया गया, पर कोर्ट में सुनवाई पर जब भी आया, उस दिन लिस्ट में नीचे होने के कारण रह जाता। अब भी 10 मार्च को सुनवाई है।
तो हमने मुख्य सचिव को कहा कि आबादी भूमि के पैसे दे दें, न की 700साल पुराने उनके गांव को अतिक्रमण कह कर ।
दूसरा सभी व्यस्क बच्चों को ज़मीन, अभी 79 परिवारों ही बाशिंदऐं माने गए। जबकि व्यस्क बच्चों को जोड़ कर 125 परिवार होते हैं।
खड़े में किशनगढ के बहार प्लॉट्स दिए, उसके भरने के पैसे नहीं दिए।
अभी तक 4 लोगों ने ही घर बनवाया है। अन्य सभी गाव् में ही हैं। क्योंकि प्लॉट्स बहुत छोटे हैं और दूध का धंधा करते है। इसलिए हमने 60 बिघा गाव् की सवाई चक भूमि जो अधीग्रहंन में नहीं आयी वहां बाड़ा बनाने की जगह मांगी। जैसे जेडीए द्वारा बनाई मिल्क मैंन कोलोनी, हमने कहा गाय पर नारा लगनी वाली सरकार मिल्क वुमेन कॉलोनी बनाए क्योंकि यह धंदा औरतें करती हैं। समुदायक भवन बनवाना व मंदिर की ज़मींन देना, और खेती की ज़मीन की सही रेट देना।
मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया की ज़रूर यह ख्याल करेंगे, कलक्टर से संवाद रख्वायेंगे। जब हम लोगों ने कहा कि 9 को ढाणी के बशिनदो को भी बुलाया जाय तो चिढ गए।
खैर 9 को मीटिंग में जाने से पहले कलक्टर गौरव गोयल ने एसडीमके ज़रिये बुला कर कहलवाया की 4 दिन में खली करवा देंगे गांव।
मीटिंग से लौटने पर 10 को बिजली काटने के नोटिस मिल गए, उन कुओं का भी जो अभी अधिग्रहण में नहीं आई।
अदालत में तो सोमवार या मंगलवार को सुनवाई की कोशिश रहेगी, पर इटीवी में दिन भर चला की मुख्य सचिव की बैठक में 7 दिन में खाली करवाने का तय हुआ क्योंकि एयरपोर्ट ऑथोरिटी ने धमकी दे दी की जुलाई में वे ट्राईल रन नहीं करेंगे अगर यह गांव नहीं उठेगा।
अपील सभी को
साथीयो, रोज़ एक टोली को राठौरों की ढाणी पहुंचना चाहिए मीडिया सहित। राजस्थान भर के समूह एक, एक दिन तय करले। सोमवार को पीयूसीएल के साथ अनंत, त्रिपाठीजी, सिस्टरगीता ने ढाणी के बाशिंदों के साथ प्रेस कोन्फरेंस अजमेर में सोची है।
प्राथिमकता पर हम इस पर ध्यान दें और ढाणी के बाशिंदों को न्याय दिलवाएं नहीं तो सब सड़क पर होंगे एक हफ़्ते बाद।
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