एक बेटी की अपील : जेल में बंद पिता की रिहाई के लिए; पढ़े और शेयर करे


इस तस्वीर को ध्यान से देखिए, यह तस्वीर ओडिशा के नियमगिरि के डोंगरिया कोंध आदिवासी दसरू कडरका की बेटी का है जो अपने पिता की रिहाई की मांग को लेकर हाथ में पिता का वोटर कार्ड लिए हुए है.  दसरू कडरका नियामगिरी सुरक्षा समिति का कार्यकर्ता था । पांच  माह पहले मुनिगड़ा बाजार से पुलिस ने माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया  तब से बिना कोई सबूत  के जेल में है । देश भर में 2 सितंबर की आम हड़ताल को नियामगिरी के डोंगरिया कोंद आदिवासियों ने पूर्ण समर्थन दिया। इस आम हड़ताल के समर्थन में स्थानीय निवासी अपनी  समस्याओं जिसमें फर्जी गिरफ्तारियां तथा पुलिस उत्पीड़न समेत दसरू कडरका की  बेटी ने अपने पिता की रिहाई की मांग की है ;

नियामगिरी सुरक्षा समिति के पच्चीस वर्षीय कार्यकर्ता दसरू कडरका को 7 अप्रैल 2016 को मुनिगड़ा बाजार से माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया पिछले पांच महीने से पुलिस आरोप को प्रमाणित करता कोई सबूत नहीं जुटा पाई है । पुलिस ने उस पर आगजनी, लूट, हत्या और कॉम्बैट आपरेशन के दौरान पुलिस बल पर हमले जैसे कई झूठे केस लगाए हैं।

यह कोई पहली घटना नहीं है। 27 फरवरी को नियामगिरी सुरक्षा समिति के कार्यकर्ता, 20 वर्षीय छात्र, मुंडा कडरका को अर्ध सैनिक बलों द्वारा एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था। 28 नवंबर को नियामगिरी सुरक्षा समिति के नेता द्रिका कडरका ने पुलिस यातना के बाद आत्महत्या कर ली। इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि यह नियामगिरी के संघर्षशील डोंगरिया कोंद आदिवासियों को डराने धमकाने के लिए सरकार की साजिश है जिससे कि वह वेंदाता कंपनी के खिलाफ लड़ रहे अपने जल-जंगल-जमीन की रक्षा की लड़ाई में घुटने टेक दें। यह डोंगरिया कोंध आदिवासियों, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायलय की एक निर्देशिका का पालन करते हुए 2013 में ग्राम सभा की बैठक में खनन परियोजना का सर्वसम्मति से अस्वीकृत कर दिया था, के जनवादी आंदोलन को नष्ट करने की साजिश है।

दस हजार से कम आबादी वाली डोंगरिया कोंध जन जाति खासतौर पर एक कमजोर जनजाति समूह के रूप में चिन्हित है। इस तरह से इस समुदाय के युवाओं की हत्या या इस हद तक यातना देना कि वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएं या फिर उनके संवैधानिक अधिकारों को नजरअंदाज करना एक तरह से इस हाशिए पर खड़े समुदाय पर प्रत्यक्ष हमला है। नियामगिरी लगभग सात सालों से अर्ध सैनिक बलों के कब्जे में है जिसने पर्वतीय इलाकों में एक डर का माहौल व्याप्त कर रखा है। इन सात सालों में नियमागिरी सुरक्षा समिति के अध्यक्ष लाडो सिकाका के अवैध अपहरण और यातना समेत सुरक्षा बलों द्वारा डोंगरिया कोंध आदिवासियों के अनेकों अवैध अपहरण, गिरफ्तारियों और उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं।


Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें