6 सितम्बर 2016 को उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में महीने भर से निकाले गये मजदूरों की कार्यबहाली, न्यूनतम वेतन बढ़ाने की माँग, श्रम कानूनों का पालन कराने व आंदोलनरत भूख हड़ताल में बैठे मजदूरों पर पुलिसिया दमन के विरोध में ट्रेड यूनियनों का महा सम्मेलन का आयोजन किया गया । राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अनीता लोहानी भी कल लड़कियों पर हुई हिंसा पर संज्ञान लेते हुए सम्मेलन में पहुंची और जाँच का आश्वाशन दिया है । प्रिकॉल के मजदूरों के संघर्ष को विभिन्न मजदूर संगठन समर्थन देने पहुंचे । सम्मेलन के अंत में प्रशासन को चेतावनी देने के लिए जुलुस निकाला गया । फ़िलहाल बढ़ते जनदबाव में सभी मजदूरों की बिना शर्त रिहाई हो गयी है , हल्द्वानी के सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में भर्ती 5 महिला मजदूरों की भूख हड़ताल और रुद्रपुर में किया जा रहा अनशन आज छठे दिन भी जारी रहा । हम यहाँ पर प्रिकोल मजदूर संगठन का पर्चा साझा कर रहे है;
सम्मानित साथियों !
प्रिकॉल कम्पनी प्रबन्धन के गैर कानूनी कृत्यों एव उत्तराखण्ड सरकार/ जिला प्रशासन के अन्यायपूर्ण रूख से पीड़ित हम 150 से अधिक मजदूर आन्दोलनरत है । प्रिकॉल कम्पनी में लगभग 10 वर्षो से कार्यरत हम मजदूरों की कम्पनी प्रबन्धन द्वारा दिनांक 06.08.2016 से गैरकानूनी गेट बदी कर रखी है।
प्रिकॉल कम्पनी में गैरकानूनी कृत्यों की इस कदर बोलवाला है कि टाटा मोटर्स, टी.वी.एस. बजाज. अशोक लिलैण्ड, महिन्दा एवं हीरो मोटोकॉर्प जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियो को ऑटो पार्टस सप्लाई करनें वाली इस कम्पनी में महज 13 मजदूर ही स्थाई है। इस कंपनी में 100-100 मशीनों और 36-36 लाईनें 2 शिप्टों में चलती है। कानूनी रूप से इस कम्पनी में कम से कम 300 मजदूर स्थाई होने चाहिये। परन्तु ऐसा नही है।
प्रिकॉल कम्पनी के सम्बन्ध में सहायक श्रमायुक्त द्वारा अपनी निरीक्षण टिप्पणियों में साफ-साफ लिखा है कि कम्पनी में श्रम कानूनों को ताक पर रखकर गैरकानूनी कृत्य किये जा रहे हैं। ठेकेदारों को लोडिग - अनलोडिग के लिए ही लाईसेंस जारी किये गये है परन्तु ठेकेदार अपने लाईसेन्सों का दुरुपयोग करके ठेका मजदूरो से गेरकानूनी रूप् से खतरनाक मशीनों एंव प्रोडक्शन लाइनों पर कार्य करवा रहे है। सहायक श्रमायुक्त द्वारा ठेकेदारों के उपर मुकदमें भी किये गये है और सरकार से ठेकेदारों के लाइसन्सों का पजीकरण रदद करने की अपील की गई है। इनमें से एक ठेकेदार कांग्रेस पार्टी का प्रदेश सचिव भी है।
वर्तमान समय में भी जिला प्रशासन एवं उत्तराखण्ड सरकार की मिलीभगत से प्रिकॉल कम्पनी में ठेका मजदूरों से मशीने चलवाने का गैरकानूनी कृत्य किया जा रहा है। जब हम मजदूर 10 साल पहले प्रिकॉल कंपनी में भर्ती हुए थे तो तब हमारी उम्र 20-25 साल की थी परन्तु आज हमरी उम्र 30-35 की हो चुकी है। कंपनी प्रबंधन हमें नौकरी से निकाल कर हमारा भविष्य अन्धकारमय कर रहा है। हमें हमारी जवानी के 10 सालों का हिसाब कौन देगा? हमें हमारी जवानी के ये 10 साल कौन लौटायेगा?
जिला प्रशासन -उत्तराखण्ड सरकार एवं प्रिकॉल प्रबन्धन के अत्याचार से पीड़ित उत्तराखण्ड की बेटियां आमरण अनशन को मजबूर
सहायक श्रमायुक्त की निरीक्षण टिप्पणियों के बावजूद जिला एंव उत्तराखण्ड सरकार घृतराष्ट्र की भाति तमाशिन बनी हुई है।
प्रिकॉल प्रबन्धन बेखौफ होकर गैरकानूनी कृत्य जारी रखे हुए है। हमें कही से भी न्याय नही मिल रहा है। ऐसी स्थिति में प्रिकॉल कम्पनी में कार्यरत उत्तराखण्ड की बेटियां दिनाक 01.09.2016 से सहायक श्रमायुक्त कार्यलय, रूद्रपुर में सामुहिक रूप् से आमरण अनशन पर बैठी है, जिला प्रशासन-उत्तराखण्ड सरकार से पूछ रही है कि प्रिकॉल कम्पनी में चल रही उपरोक्त गैरकानूनी कृत्यों पर रोक क्यों नही लगाई जा रही है?
हम उत्तराखण्ड सरकार से ये पूछना चाहते है क्या यही है तुम्हारी रोजगार नीति कि उत्तराखण्ड के नौजवानों से 10-10 साल काम कराकर उनसे उनकी जवानी छीनकर बेरोजगार कर दिया जाये? हम उत्तराखण्ड सरकार से पूछना चाहते है क्या यही है उत्तराखण्ड की बेटियों का सम्मान! कि उन्हें आमरण अनशन पर बैठना पड़े? हम पूछना चाहते है उत्तराखण्ड सरकार से की प्रिकॉल कम्पनी प्रबन्धन किसकी सह पर इतना बैखौफ होकर कम्पनी में गैरकानूनी कृत्य जारी रखे हुए है?
जिला प्रशासन प्रिकॉल प्रबन्धन के उपरोक्त गैरकानूनी कृत्यों पर रोक लगाने के स्थान पर धारा-144 लगाकर हम मजदूरों की न्यायपूर्ण आवाज का गला घोट रहे है। कलेक्टेªट परिसर में निर्धारित धरनास्थल पर भी हम मजदूर को धरना देने से वंचित कर दिया गया है। डेल्टा, मिण्डा, महिन्द्र आदि कम्पनियों के मजदूरों की भी यही व्यथा है।
इस अन्याय -अत्याचार के विरोंध में सहायक श्रमायुक्त कार्यलर, रूद्रपुर में दिनाक 06.09.2016 को प्रातः 10 बजे से जन महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जन महासम्मेलन और आमरण अनशन स्थल पर पहुचकर हमारे संघर्ष में कंधे से कधां मिलाकर साथ दे! हमें तन-मन-धन से सहयोग दे!
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें