राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 9 माह से मुख्य सचिव की रिपोर्ट का इंतजार : करछना के किसानों पर पुलिसिया दमन


गत वर्ष सितबंर महीने की 9 तारीख को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में करछना तहसील के कचरी गांव में ‘किसान कल्याण संघर्ष समिति’ करछना  के बैनर तले जेपी पॉवर प्लांट के भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरना दे रहे किसानों का पुलिस द्वारा क्रूर दमन किया गया था। 9 सितम्बर 2015 की सुबह 7 बजे किसान आंदोलनकारियों पर पुलिस कहर बनकर टूट पड़ी थी। नाबालिग से लेकर 75 वर्ष के बुजर्गों तक को नहीं छोड़ा। पिटाई के बाद लोगों को गाड़ियों में भूसे कि तरह भर कर उठा ले गये।

गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस का तांडव जारी रहा कई घरों के दरवाजे खिड़की तक को तोड़ कर घरों की तलाशी ली गयी। ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि पुलिस के जवान घरों में घुसकर बहुत सा कीमती सामान भी उठा कर ले गए। कुल 42 लोगों को पुलिस उनके घरों से उठा कर ले गई जिसमें कुछ नाबालिग तथा एक सत्तर वर्षीय वृद्ध महिला भी शामिल थीं।

इस घटना के लगभग 8 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक इन किसानों को न्याय नहीं मिला है। आंदोलन के मुख्य नेता राज बहादुर पटेल अपना घर-बार छोड़कर अभी भी भूमिगत हैं तथा तीन किसान अभी तक जेल में बंद हैं। किसानों पर हुए इस दमन के विरोध में मानवाधिकार आयोग को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। जिस पर आयोग ने  संज्ञान भी लिया परंतु 9 बीत गए प्रशासन की रिपोर्ट के इंतजार में । जिसके बारे में मानवाधिकार आयोग का कहना है कि इलाहाबाद के जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट तो आ गई है किंतु मुख्य सचिव की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट आने तक मानवाधिकार आयोग कुछ भी कर पाने में असमर्थ है। आठ महीने से पीड़ित किसानों को न अभी तक प्रशासन की तरफ से किसी तरह की कोई राहत मिली है न मानवाधिकार आयोग की तरफ से।

24 मई 2016 को जनांदोलोनों के राष्ट्रीय समन्वय की ससामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने पीड़ित किसानों और उनके परिवारों से मुलाकात करके उनके आंदोलन के लिए समर्थन जताया।

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