पोस्को : भ्रम व छल के बीच जारी है प्रतिरोध


पॉस्को परियोजना को एनजीटी द्वारा ओडीशा में  मंजूरी न मिलने के बावजूद अभी तक पॉस्को की तरफ से परियोजना की औपचारिक वापसी की घोषणा  नहीं की गई है। इसके अलावा पॉस्को के साथ चल रहे संघर्ष के समय गांव वालों पर लगे झूठे मुकदमे और पुलिस दमन बदस्तूर जारी है। ओडीशा के  जगतसिंगपुर  में पोस्को के विरोध में जारी संघर्ष के  ताजा हालातों पर प्रस्तुत है  13 अप्रैल 2016 को पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति द्वारा जारी की गई अपडेट;

साथियों,

उम्मीद है कि आप सभी 8 अप्रैल 2016, को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बारे में जानते होंगे। इस आदेश में एनजीटी ने कहा है कि पॉस्को की की पर्यावरणीय मंजूरी केवल 19 जुलाई 2017 तक ही वैध है। वह इस जमीन पर किसी प्रकार का कोई कार्य प्रारंभ नहीं कर सकते क्योंकि जमीन उन्हें अभी स्थानांनतरित नहीं की गई है। अतः यह परियोजना किसी भी तरह से आगे नहीं बढ़ सकती है। इस चरण में वह अपनी परियोजना आगे नहीं बढ़ा सकते हैं और यदि पर्यावरणीय मंजूरी का फायदा उठाते हुए परियोजना का काम आगे बढ़ाने की यदि उनकी कोई योजना है तो उन्हें आवदेक और ट्रिब्यूनल को इसके संबंध में सूचना देनी होगी।

बहुत से लोग यह सोच रहे हैं कि पॉस्को ने परियोजना वापस ले ली है और यह जीत मनाने का समय है। हम यहां पर यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हालांकि एनजीटी की ताजा सुनवाई से हमें पॉस्को के भ्रम  के बारे में पता चला लेकिन हम पॉस्को की परियोजना और उसके भविष्य के बारे में सार्वजनिक रूप से सूचना देने के प्रति अनिच्छा को लेकर चिंतित हैं। हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि 2017 तक हमारी जमीन पर पॉस्को के काम न करने की मंशा के बावजूद यह मामला न्यायालय में 9 मई 2016 में सुनवाई के लिए लंबित है। इस केस को पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए था जिससे हमारी व्यग्रता और हमारे उत्पीड़न की प्रक्रिया दोनों शांत  हो जाती।

राज्य पुलिस ने इलाके को दमन कॉलोनी में रूपांतरित कर दिया है। बूढ़े और जवानों पर शारीरिक यातनाएं देने के बाद पुलिस ने हमारे बहुत से लोगों पर फर्जी केस लगाकर उन्हें जेलों में ठूस दिया। स्थानीय पुलिस लोगों की एफआईआर दर्ज करने के बजाए पुलिस थाने में शिकायत लेकर आई महिलाओं और पुरूषों के साथ बदतमीजी करती है। वर्तमान में दो गांव वाले अभी तक जेल में हैं। गोविंदपुर गांव के श्री खीरा दास को 10 दिसंबर 2015 (मानवाधिकार दिवस) के दिन गिरफ्तार किया गया था और ढिंकिया गांव के प्रफुल्ल जेन को 2 फरवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया था। गांव वालों के खिलाफ 420 से भी ज्यादा झूठे मुकदमे दर्ज हैं और 2000 लोगों से ज्यादा के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया है। इनमें 300 महिलाएं शामिल हैं। पुलिस वॉरंट की वजह से गांव वाले गांव के बाहर नहीं जा पाते।

पीपीएसएस के आह्वान के बाद हमारे लोगों ने पॉस्को के लिए अधिग्रहित पान के खेतों पर, जो अभी जिला प्रशासन के पास हैं, जबरन कब्जा कर लिया है। जिसकी वजह से पॉस्को ने हमारे लोगों के उपर केस दर्ज कर दिए हैं। इन केसों में आपराधिक (धारा 447, 426) और कब्जे के केस शामिल हैं। गडकुजंगा पंचायत के ग्रामीणों पर 30 आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक अन्य मामले में गोविंदपुर के ग्रामीणों ने तथाकथित सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रशासन ने 40 लोगों के खिलाफ आपराधिक और दिवानी मुकदमे दर्ज किए हैं। नुआगांव के लोगों ने 2015 में तथाकथित सरकारी जमीन पर पुनः अपना कब्जा स्थापित कर लिया था। सरकार ने इन ग्रामीणों के ऊपर केस दर्ज करने की धमकी दी है।

इसी बीच खंडाधार सुरक्षा संग्राम समिति (केएसएसएस) ने अन्य जनांदोलनों के साथ मिलकर खंडाधार जल प्रपात के पास 26-28 जनवरी 2016 को तीन दिवसीय धरने का आयोजन किया। उनकी मांग थी की नियामगिरि की तरह बिना ग्राम सभा की पूर्व अनुमति के सरकार या कंपनी किसी के भी द्वारा किसी भी भूमि या खदान का इस्तेमाल तथाकथित विकास के नाम पर नहीं किया जाना चाहिए। राज्य तथा केंद्र दोनों ही सरकारों द्वारा पेसा, 1996, वन्य अधिकार अधिनियम, 2006 और ग्राम सभा, जिन्हें संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार लागू किया गया है, को मान्यता और सम्मान दिया जाना चाहिए।

उन्होंने उस इलाके को राष्ट्रीय प्राकृतिक धरोहर के रूप में घोषित करने की और प्राकृतिक स्थल तथा कमजोर जनजातिय समूह पौडी भून्य की सुरक्षा की अपील की।


हम निम्न मांगें रखते हैं-

  1. पॉस्को द्वारा तत्काल ओडीशा से परियोजना पूरी तरह से वापस लेने की औपचारिक घोषणा करवाई जाए।  
  2. सरकार द्वारा पॉस्को के लिए अधिग्रहित समस्त भूमि तत्काल गांव वालों को वापस की जाए और उसे वन्य अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मान्यता दी जाए। 
  3. सरकार को हमारे लोगों पर हो रहे सभी प्रकार के दमन को तुरंत बद करवाना चाहिए और गांव वालों के उपर दर्ज फर्जी मुकदमों को फौरन वापस लिया जाना चाहिए।
  4. सरकार को हमारे संवेदनशील तटीय इलाकों में, जहां से पॉस्को के लिए सरकार द्वार दो लाख से ज्यादा वृक्षों को काट दिया गया था, पुनः वृक्षारोपण करवाया जाना चाहिए।
  5. वर्ष 2008 और 2013 में पॉस्को के गुण्डों द्वारा किए गए हमलों में मारे गए लोगों की विधवाओं और बच्चों तथा घायल परिवार के सदस्यों के लिए उचित तथा पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए। 


सहयोग और सहभागिता की उम्मीद में
प्रशांत पैकरा
अधिवक्ता, पॉस्को प्रतिरोध संग्राम समिति
ई-मेल prashantpaikray@gmail.com
मोबाइल- 09437571547




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