डॉ.सुनीलम ने कहा कि पिछले 68 बर्षो से किसानों के साथ सरकारों द्वारा जो भेदभाव किया जा रहा हैं, वह संविधान विरोधी है, उन्होनें कहा कि 1 जनवरी 2016 से कर्मचारियों के लिए 7वां वेतन समझौता लागू हो जायेगा, जिसके बाद केन्द्र सरकार के सबसे छोटे कर्मचारी का न्यूतम वेतन 25 हजार रूपये माह हो जायेगा, तथा उच्च अधिकारियों का वेतन ढाई लाख होगा, जबकि खेतीहर मजदूरो को 150 रूपये प्रतिदिन मनरेगा के मजदूर को 169 रूपये प्रतिदिन मजदूरी का भुगतान किया जाता है। मूल्य आयोग द्वारा समर्थन मूल्य तय करते समय किसान के श्रम का मूल्य 50 रूपये प्रतिदिन लगया जाता है, जबकि वह किसी भी बडे से बडे अधिकारी से अधिक काम करता है।
किसानी का मूल्य इतना कम होने के चलते खेती घाटे का पेषा बन गई है, परिणाम स्वरूप 1995 से अब तक 5 लाख किसान आत्महत्या कर चुके है, तथा मध्यप्रदेश मे विधान सभा मे दी गई जानकारी के अनुसार 194 किसानो ने गत चार माह से मध्यप्रदेष मे आत्महत्या की है, उन्होनें कहा कि किसानो की नुकसानी का सही आकंलन तथा उचित मुआवजा और फसल बीमा किसानो को नही दिया जा रहा है। फसल बीमा की राषि का बैंको द्वारा समायोजन किया जा रहा है जो यह दर्षाता है कि फसल बीमा के नाम पर सरकार किसानों की जगह बैंको की मद्द कर रही है. तथा किसानो को भ्रष्ट पटवारी व्यवस्था के हवाले छोड दिया हैं।
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