फ़ाइल तस्वीर |
24 दिसम्बर को जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि सरगुजा संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहां पॉवर प्रोजेक्ट की स्थापना न केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997 में दिए गए ' समता ' निर्णय की भावना के खिलाफ है, बल्कि पेसा क़ानून के खिलाफ भी है. अतः संविधान की धारा 244(1) के तहत राज्यपाल को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने अनुसूचित जनजाति आयोग से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.
माकपा नेता ने कहा कि अडाणी द्वारा इस पॉवर प्रोजेक्ट में परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान से निकले रिजेक्टेड कोयले का उपयोग किया जाएगा. ऐसे में इस पॉवर प्लांट को सरकार द्वारा अनुमति देने से न केवल पर्यावरण की अपूरणीय क्षति होगी, बल्कि पेसा क़ानून के तहत आदिवासियों को प्राप्त अधिकारों का भी उल्लंघन होगा. स्पष्ट है कि ऐसे कोयले से बनी बिजली से भारी मुनाफा कमाया जाएगा, लेकिन दूसरी ओर आदिवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापन की मार भी झेलनी पड़ेगी. पराते ने कहा कि मोदी सरकार के राज में अडाणी की संपत्ति में 48% की वृद्धि हुई है और यह संपत्ति इस देश के प्राकृतिक संसाधनों को लूटकर ही ईकट्ठा की गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस लूट में रमन सरकार अडाणी के साथ है.
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