ओडिशा के समुन्द्ररी तट पर पुरी जिले का अस्तरंग ब्लॉक अलीविरडले कछुआ की सामूहिक अण्डा दान स्थली के लिए विश्व प्रसिद्द है. परन्तु जल्दी ही इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली है क्योंकि सरकार ने इस हरे भरे क्षेत्र के लिए जो योजना बनायी है वह इस क्षेत्र को बर्बाद कर देगी. ओडिशा सरकार अपने तटीय क्षेत्र को बर्बाद करने की नीति पर अभी भी कायम है इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए वह पुरी जिले के अस्तरंग ब्लॉक में देवी नदी के मुहाने पर एक प्राइवेट बंदरगाह बनाने जा रही है. इस संबंध में ओडिशा सरकार हैदराबाद की कंपनी नवायुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसी) के साथ 2008 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर कर चुकी है.
प्रस्तावित बंदरगाह के लिए भूमि का अधिग्रहण करने के लिए धारा 4(1) नोटिस 19 दिसंबर 2013 को जान बूझ कर जल्दबाजी में प्रकाशित किया गया है क्योंकि 1 जनवरी 2014 से नया भूमि अधिग्रहण कानून लागु होने वाला था. ओडिशा सरकार ने विस्थापन और पुनर्वास नियम के तहत अधिसूचना जारी करने का भी इंतजार नहीं किया. भूमि अधिग्रहण के विरोध में पीर जहानिया भीटा माटी सुरक्षा मंच के बैनर तले आंदोलन जारी है. स्थानीय लोगों का कहना कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देगे.
ग्रीन लाइफ के सामाजिक कार्यकर्ता शोवाकर बेहरा बताते है कि नवायुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसी) आधुनिक बंदरगाह के निर्माण के साथ-साथ बंदरगाह को सड़क/रेल से जोड़ने के लिए 85 कि.मी. लम्बे गलियारे का भी निर्माण करेगी. बंदरगाह को विकसित करने के लिए लगभग 5,000 एकड़ भूमि तथा रेल एवं सड़क गलियारे के लिए 900 एकड़ तथा 1100 एकड़ भूमि की जरूरत कंम्पनी को है. कंम्पनी इस बंदरगाह का निर्माण बूस्ट (Boost) बिल्ड, आऊँन, आपरेट, शेयर तथा ट्रांसफर के आधार पर करेगी.
स्थानीय समुदाय के संघर्ष की अगुवाई करने वाली भूमि अधिग्रहण विरोधी पीर जहानिया भीटा माटी सुरक्षा मंच के उपाध्यक्ष काशीनाथ नायक बताते है कि प्रस्तावित बंदरगाह में गुनडालाबा, साहान, सुधाकेश्वर, छुरियाना, नानपुर, डलुआकानी और सुंदर गाँव पूर्ण रूप से विस्थापित हो जायेगे. 13 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया जायेगा. इन गांवों का विवरण इस प्रकार है-
क्र.सं. गांवों के नाम क्षेत्रफल एकड़ में कुल जमीन
सरकारी भूमि निजी भूमि
1. गुनडालाबा 37.680 124.150 161.830
2. साहान 261.120 253.970 515.090
3. सुधाकेश्वर 5.450 905.759 911.209
4. छुरियाना 286.540 437.065 723.605
5. नानपुर 90.220 108.720 198.940
6. डलुआकानी 169.370 90.898 260.268
7. सुंदर 50.530 209.390 259.920
8. कानामाना 78.200 199.810 278.010
9. कुसुम्बर 2.120 12.710 14.830
10. पताल्दा 12.700 67.185 79.885
11. तिमोर 311.490 26.210 337.700
12. अस्तरंग 58.800 - 58.800
13. दामासुन 99.900 - 99.900
कुल योग 1,464.120 2,435.867 3,899.987
बंदरगाह जिस जगह पर प्रस्तावित है वहाँ पर वर्ष 1645 में बनी पीर जहानिया या पीर बाबा का मजार स्थल है। जो हिन्दू-मुसलमान भाईचारे और एकता की एक मिसाल है। अगर इस अंचल में बंदरगाह बनेगा तो यहां का भाई चारा नष्ट होगा और साथ ही साथ 400 साल का पुराना एतिहासिक स्थल का भी विनाश हो जाएगा।
इस अंचल का कृषि उत्पादन देश तथा राज्य में कृषि उत्पादन में किसी भी हाल में कम नहीं है। यहाँ की उर्वरक मिट्टी समृद्द कृषि के लिए जानी जाती है। यहां के जंगल से प्राप्त उत्पाद एवं कृषि उत्पाद केवल स्थानीय लोगों की सामाजिक आर्थिक उन्नति में ही सहायक नहीं है बल्कि उन्हें ओड़िशा और ओड़िशा के बाहर भी विभिन्न कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाता है। जैसे की धान-पान मछली, चिनिया बेदाम, काजू, दाल, सब्जी, तिल्हन आदि ।
प्रस्तावित प्रोजेक्ट से 20 हजार मछुआरों का जीवन और जीविका समाप्त हो जाएगी और इस क्षे़त्र के 7 राजस्व गाँव की लगभग 8000 आबादी पूर्ण रूप से विस्थापित होगी।
यह क्षेत्र विश्व के 5 अलीविरडले कछुआ गाथअन्डा दान स्थली या सामूहिक अण्डा दान स्थली में से एक हैं. भारत में यह एकमात्र क्षेत्र है जहाँ पर कछुवें सामूहिक रूप से अपने अंडे देते हैं. यहाँ पर हजारों की संख्या में अलीविरडले कछुआ सामूहिक अण्डा दान करने आते हैं.
इस अंचल के समुंद्र तथा देवी नदी मुहान में भारी मात्रा में विभिन्न प्रजाति के जल जीव डालफिन, निल रक्त केकड़ा, समुद्र घोटक, ओक्टोपस, फीडक्राप, सार्क आदि और बहुत सारे समुन्दरी जीव पाये जाते हैं। देवी नदी के मुहाने पर काफी संख्या में लाल केकड़े निवास करते है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
प्रस्तावित बंदरगाह से बालुखंड अभ्यारण में साल भर आने वाले विभिन्न देशी-विदेशी पक्षियों की निवास स्थली भी प्रभावित होगी. शीत ऋतु के आगमन में बहुत सारे पक्षी दिखाई देते हैं। केन्द्र तथा राज्य सरकार विभिन्न प्रोजेक्ट के जरिये अभ्यारण का संरक्षण करने की योजना पर काम करती है। लेकिन इस बंदरगाह के आने से पहले अब तक खर्च किये गये जनता के पैसे को बर्बाद करने पर तुली है।
संमुन्द्र तटवर्ती तकरीबन 22 किलोमीटर क्षेत्र के केचरिना, लिप्टस, आकासि, काजू, जंगल आदि को बाढ़ और प्राकृतिक आपदा से बचाता है। 400 हेक्टर वन भूमि में विभिन्न वन जीव जैसे कि हिरण, लिजार्ड, जकल, लोमड़ी, हिंनाह, साँप, देशी-विदेशी पक्षी निवास करतें हैं यह क्षेत्र आस-पास के गांवों के 5000 हजार पशुओं को चारा भी मुहाया कराता है।
फ़िलहाल भूमि अधिग्रहण विरोधी पीर जहानिया भीटा माटी सुरक्षा मंच आंदोलन में डटा हैं. प्रभावित होने वाले गांवों में स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में लगा है.
फ़िलहाल भूमि अधिग्रहण विरोधी पीर जहानिया भीटा माटी सुरक्षा मंच आंदोलन में डटा हैं. प्रभावित होने वाले गांवों में स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में लगा है.
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