अनशन के पांचवे दिन जेल प्रशासन झुका, डॉ. सुनीलम की मांगे मानी

भोपाल जेल में बंद जनांदोलनकारी  नेता डा सुनीलम ने जेल में एक कैदी को जेल पुलिस द्वारा पिटाई कर अधमरा कर देने के विरोध तथा विचाराधीन कैदियों के मानवाधिकारों के सवाल को लेकर विगत 23 नवम्बर से जेल में उपवास पर थे। कल उनके के पांचवे दिन आखिरकार जेल प्रशासन को झुकना पड़ा और डॉ. सुनीलम की मांगे माननी पड़ीं.
जेल में प्रशासनिक लापरवाही, कैदियों के साथ दुर्व्यवहार और जेल मैन्युअल ना उपलब्ध होने को लेकर डॉ. सुनीलम ने यह भूख-हडताल शुरू की थी. उनकी मांगे थीं कि -

  1. 22 नवंबर 2012 को भोपाल जेल में बंद बीमार कैदी युसूफ अनीस की निर्मम पिटाई करने वाले पुलिस कांस्टेबल सुनील पाठक के खिलाफ कारवाई की जाय. 
  2. जेल मैन्युअल की कॉपी डॉ. सुनीलम को डी जाय, जिसकी मांग वो गिरफ्तारी के बाद से ही कर रहे हैं. लेकिन जेल के अधिकारी उन्हें मना कर रहे हैं. 
  3. उन्हें जेल में पत्र भेजने और प्राप्त करने की अनुमति दी जाय.

इन मांगों को उठाने के बाद मांझी नाम के एक पुलिस अफसर ने उन्हें दुष्परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहने की धमकी दी थी. 

जेल में डा सुनीलम से मिलकर लौटे मानवाधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मांग की कि इस मामले में तुरंत दखल दे और जेल तथा मध्य प्रदेश शासन पर दबाव बनाये की डा सुनीलम और उनके साथियों तथा अन्य बिचाराधीन कैदियों के साथ कोई अन्याय न होने पाए। लखनऊ से मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय सहित युवा संवाद के संपादक डा ऐ के अरुण, पी यू सी एल के रास्ट्रीय सचिव चितरंजन सिंह, कविता श्रीवास्तव व अन्य बुद्धिजीवियों / सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मांग की कि जेल में डा सुनीलम और उनके साथियों के सुरक्षा एवं मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित कराई जाये।







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