झारखंडी जनांदोलन दशा और दिशा : एक साझा विमर्श


झारखंडी जनांदोलन दशा और दिशा : एक साझा विमर्श
25 नवंबर 2012
सुबह 11 बजे से सायं 4 बजे तक
एटीआई सभागार, रांची, झारखण्ड


जोहार साथियो, 

जमीन अधिग्रहण और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के सवाल पर झारखण्डी जनता का संघर्ष लगातार तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा है. लेकिन ऐसे तमाम जनसंघर्षों की एक बुनियादी कमजोरी यह है कि ये सभी एकांतिक और निहायत स्थानीय व ‘अराजनीतिक’ बन कर रह गये हैं. 

इन संघर्षों से राजनीतिक चेतना का विकास नहीं हुआ जो इन्हें एकजुट कर सके और व्यवस्था के खिलाफ एक चुनौती बन सके. सभी संघर्ष स्वतःस्फुर्त ढंग से उभरते हैं और बिना कोई राजनीतिक ताकत बने दमन की कहानी मात्र बनकर रह जाते हैं. हम सारे लोग जो झारखंड आंदोलन में खुद को शामिल मानते हैं, के लिए यह एक गंभीर सवाल है. जो न सिर्फ मूल्यांकन बल्कि एक नई रणनीति की भी मांग कर रही है.

इसीलिए हम कुछ साथियो ने इस सवाल पर एक साथ बैठने का निर्णय लिया है. यह बैठक 25 नवंबर को सुबह 11 बजे से सायं 4 बजे तक एटीआई सभागार (राजभवन के पीछे, सूचना भवन के सामने), रांची में होगी. अगर आप भी हमारी तरह से इस सवाल पर बेचैन हैं और स्वतःस्फुर्त जन पहल को संगठित राजनीतिक कार्रवाइयों में बदलने के बारे में सोच रहे हैं तो हम इस बैठक में आपका इंतजार कर रहे हैं. आइए और अपने विचारों एवं सक्रियता से इस पहलकदमी को ठोस शक्ल दीजिए
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एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
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