आदिवासी विस्थपन के विरोध में और उनके अधिकारों के लिए झारखंड में लड़ाई लड़ रही दयामनी बारला आदिवासी महिला आंदोलकारी के रूप में लोक हित का कार्य कर रही हैं। उन्हें रांची की एक अदालत द्वारा 18 अक्टूबर, 2012 को भी जमानत मिली थी लेकिन इसके बावजूद उन्हें फिर से बंदी बना लिया गया है.
अवैध भूमिअधिग्रहण के खिलाफ संघर्षरत झारखंड की जुझारू आवाज दयामनी बरला को रिहा करने की मांग को ले कर आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के बैनर तले आज 11 बजे से राजभवन के समक्ष धरना दिया जा रहा है. वक्ताओं ने आज के फैसले कि आलोचना करते हुये कहा कि दयामनी की गिरफतारी के खिलाफ आदिवासियों में भारी आक्रोश है और ग्रामीण मानते है कि झारखंड सरकार ने कारपोरेट हित के लिए उन्हें जेल में रख है. दयामनी आम आदिवासियों की आवाज हैं ओर जंल में बंद कर उन्हें न तो कमजोर किया जा सकता है और न ही लड़ाइयों को कमजोर किया जा सकता है.
इस धरना में खूंटी, कर्रा, तोरपा, रनिया, कामडरा और बसिया के ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी भाग लें रहे है ओर राज्यपाल से पांचपीं अनुसूची को पूरी तरह लागू करने तथा नगड़ी समेत राज्य भर में हुए अवैध भूमिअधिग्रहण को रद्द करने, दयामणि बारला को तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे है, आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच दयामनी रिहाई के लिय राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने कि रणनीति बना रहा है.
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