जनता की ताक़त के आगे झुकी सरकार

जन सत्याग्रह की जीत हुई। गांधी जयंती के अगले दिन, गुज़री 3 अक्टूबर को ग्वालियर से इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरूआत हुई थी। यात्रा के 26वें दिन, 28 अक्टूबर को एक लाख लोगों के साथ दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम था। नवें दिन, 11 अक्टूबर तक यात्रा में इसकी आधी संख्या जुड़ चुकी थी। इस बढ़ती जन शक्ति के सामने केंद्र सरकार को घुटने टेकने पड़े। यात्रा के नवें दिन ही आगरा के पड़ाव पर सरकार और सत्याग्रहियों के बीच मुख्य मांगों पर सहमति बन गयी और यात्रा का समापन हो गया।

सत्याग्रह का प्रमुख मुद्दा था- समयबद्ध सीमा के भीतर भूमिहानों और बेघरों को खेतिहर ज़मीन और आवास अधिकार देना, त्वरित अदालतों का गठन करना, मुफ़्त क़ानूनी सहायता उपलब्ध कराना, पेसा और वन अधिकार का कारगर क्रियान्वयन करना।

याद रहे कि कुछ बरस पहले भोपाल से नयी दिल्ली तक जन आदेश यात्रा हुई थी। कहने को यात्रा की मांगों के सामने प्रधानमंत्री कार्यालय का सर भी झुका लेकिन हुआ कुछ नहीं। सरकार की ओर से जो कहा गया, वह किये जाने के लिए नहीं था। तो जन सत्याग्रह के सामने अब अगला मोर्चा सरकार के साथ हुई सहमति को ज़मीन पर उतारने के लिए दबाव बनाये रखना है। इसी कड़ी में अगली 17 अक्टूबर को प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा जायेगा। ग़रीबी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस भी इसी तारीख़ को मनाया जाता है।
Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें