मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दमन के विरूद्ध: राष्ट्रीय गठबंधन का गठन


सी.पी.एच.आर.डी. (कोएलिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स डेफेंडर्स) ने कार्य शुरू किया। दिल्ली में कार्यालय की शुरूआत। 

दिल्ली में 19-20 नवंबर 2011 को ऐसे तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक आयोजित करके एक लम्बी बहस के बाद राष्ट्रीय स्तर के एक ऐसे गठबंधन का निर्माण किया जो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दमन के विरूद्ध एक साझी पहल करे तथा ऐसे कार्यकर्ताओं को कानूनी, चिकित्सकीय तथा उनके समर्थन में जन मत निर्माण का कार्य कर सके। इस गठबंधन का नाम कोलिशन फार प्रोटेक्शन आफ ह्यूमन राइट्स डेफेंडर तय पाया गया। इसका कार्यालय दिल्ली में बनाकर इसका कार्य तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया गया है।
 
इस बैठक में यह बात उभरकर सामने आयी कि पिछले सालों में ऐसे लोगों पर हमले तेज हुए हैं जो नागरिक अधिकारों की रक्षा तथा कारपोरेट के हितों और राज्य नियोजित दमन का विरोध करते हैं। हालांकि डा. विनायक सेन के उत्पीड़न संबंधी मामले ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लोगों का ध्यान आकृष्ट किया परंतु आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में मनरेगा जैसी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं, कार्यकर्ताओं तथा जनसंघर्षों के अगुवाकारों को न केवल सैकड़ों की तातदाद में गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया वरन् हत्यायें भी करायी गयीं। नार्थ ईस्ट राज्यों, कश्मीर और छत्तीसगढ़ जैसे हिंसाग्रस्त राज्यों में मानवाधिकारों की स्थिति और भी बदतर है। 

बैठक में यह बात भी उभरकर आयी कि हालांकि यह एकदम सच है कि कई संगठनों ने इस तरह के मामलों में दस्तावेजीकरण, एक्शन एलर्ट्स और कानूनी तथा मेडिकल संबंधी मदद का कार्य किया है और यह प्रयास आज भी जारी है। परंतु इस नवगठित गठबंधन की स्थापना इन प्रयासों को साझे रूप में किये जाने हेतु की जा रही है जिससे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के विरोध में एक व्यापक आवाज उठायी जा सके। बैठक में लंबी बहस के बाद ह्यूमन राइट डेफेंडर्सको सीमित के बजाय व्यापक अर्थों में रखते हुए तय पाया गया कि- ह्यूमन राइट डेफेंडर्सकी कोटि में वे सभी लोग आयेंगे जो भारतीय संविधान को लागू करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित कराने के कार्य में लगे हैं, चाहे वे व्यक्तिगत रूप से सक्रिय हों या किसी एन.जी.ओ., सिविल सोसायटी, जनसंघर्ष या राजनैतिक  ग्रुप के साथ कार्य कर रहे हों।

यह भी तय पाया गया कि सी.पी.एच.आर..डी. पूरे देश में जनतांत्रिक अधिकारों के प्रति समर्पित तथा ह्यूमन राइट डेफेंडर्स के ऊपर हो रहे हमलों की स्थिति में उनके साथ एकजुटता करने वाले व्यक्तियों तथा संगठनों का एक साझा मंच है। इस मंच का निर्माण इस आशय से किया गया है कि इस दिशा में कार्यरत लोगों, संगठनों की क्षमता एवं विशेषज्ञता का एक व्यापक संदर्भ में साझापन हो सके।

यह भी स्पष्ट किया गया कि यह गठबंधन इसमें शामिल लोगों के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए ह्यूमन राइट डेफेंडर्सके कार्य को मजबूती प्रदान करने के लिए अनुभवों तथा संसाधनों का आदान-प्रदान करेगा। यह गठबंधन इसके किसी सदस्य संगठन की गतिविधियों में दखल नहीं देगा बल्कि यह केवल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा के सवाल तक अपने आपको सीमित रखेगा। बैठक में तय पाया गया कि-
सी.पी.एच.आर.डी. की गतिविधियां होंगी-
  •  मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दमन की सूचना सभी नेटवर्क्स को देना।
  •  मानवाधिकार आयोग को इस बारे में लिखना और उसपर आगे कार्यवाही करना।
  •  फैक्ट फाइडिंग/सालिटेरिटी टीम बनाकर उसे पीड़ित/गिरफ्तार व्यक्ति तक भेजना।
  •  यदि जरूरत हो तो कानूनी मदद का इंतजाम करना।
  •  जहां जरूरत हो मीडिया कैम्पेनका प्रयास करना।
  • ह्यूमन राइट डेफेंडर्सके उत्पीड़न/दमन की घटनाओं का दस्तावेज तैयार करना।
सी.पी.एच.आर.डी. का सांगठनिक ढांचा तीन स्तरीय होगा-
अ). स्टीयरिंग कमेटीः ऐसे संगठनों के नेटवर्क्स जो जनतांत्रिक मुद्दों पर कार्य कर रहे हैं इस कमेटी में होंगे।
ब). सलाहकार समितिः एक ऐसा कार्य समूह इसमें शामिल होगा जो सभी लोगों के साथ जीवंत संपर्क बनाये रखे।
स). पीपुल्स कमीशन फार ह्यूमन राइट डेफेंडर्सः इसके अन्तर्गत महत्वपूर्ण नागरिक, पत्रकारिता, फिल्म, थियेटर, साहित्य से जुड़े महत्वपूर्ण लोग और अवकाश प्राप्त जजेज एवं विद्वान होंगे।

इस बैठक में मणिपुर, बिहार, उ. प्र., तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कश्मीर, दिल्ली, आसाम, राजस्थान, हिमाचल, उत्तराखण्ड राज्यों से आये लोगों ने भागीदारी निभायी। बैठक में बबलू (मणिपुर), विनायक सेन तथा कविता श्रीवास्तव (पी.यू.सी.एल.), पी.यू.डी.आर.के प्रतिनिधि, सुभाष चकमा (ए.सी.एच.आर.), दयामनि बारला (इंसाफ), हेनरी टिफग्ने (एच.आर.डी.ए.), सतनाम सिंह बेंस-परमजीत कौर-बलप्रीत सिंह (डब्लू.एस.ओ.), लेनिन (पी.वी.सी.एच.आर.), अजय टी.जी.(फिल्म मेकर), अनिल चौधरी (पीस),     कोलिन (एच.आर.एल.एन.) आदि उपस्थित थे।

Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें