जारी है : भूमि अधिग्रहण के खिलाफ सत्याग्रह


पिंडरगंगा घाटी, जिला चमोली, उत्तराखंड  में प्रस्तावित देवसारी जलविद्युत परियोजना विरोधी आंदोलन जारी है। राष्ट्रीय नदी गंगा की एकमात्र स्वतंत्र बहती सहायिका पिडंरगंगा पर बांधों की विभीषिका लादने का विरोध जारी है। बांध के विरोध के कारण गढवाल विश्वविद्यालय के अध्यापकों ने झूठ बोलकर सर्वे किये। हमारे पास इसके सबूत हैं। ज्ञातव्य है कि इस परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई दो बार 13 अक्तूबर, 2009; फिर 22 जुलाई 2010 में रोकी गई, जिसके बाद 20 जनवरी 2011 को बैरिकेट लगाकर पर्यावरणीय जनसुनवाई का नाटक किया गया। 20 जनवरी 2011 को आयोजित जनसुनवाई में सभी प्रभावितों को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया; जिसमें प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका पूरी तरह संदेहास्पद रही है। अपनी आवाज को सामने लाने के लिये 3 अप्रैल 2011 में घाटी के हजारों लोगो ने पिंडर के किनारे संगम मैदान में लोक जनसुनवाई में शामिल होकर बांध विरोध में अपनी एकजुटता दिखाई।


जब लोगों ने 2011 में सुरंग टैस्टिंग का काम रोका तो पुलिस के बल पर काम कराने की कोशिश की गई। यह लगातार जारी है। बांध कंपनी व सरकार बंाध के काम को किसी भी तरह आगे धकेलने और यह सिद्ध करने के लिये कि बांध बनेगा ही, अब भूमि अधिग्रहण का सहारा ले रही है; जिसका पूरी घाटी में जबरदस्त विरोध है। बांध कंपनी की इस चाल का जवाब दिया जायेगा। 22 मई को बांध के प्रस्तावित डूब क्षेत्र देवाल में रैली और पुतला दहन इसी का एक प्रारंभिक कार्यक्रम था। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गांव-गांव में सत्याग्रह की शुरुआत होगी। - विमल भाई
Share on Google Plus

Unknown के बारे में

एक दूसरे के संघर्षों से सीखना और संवाद कायम करना आज के दौर में जनांदोलनों को एक सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरी है। आप अपने या अपने इलाके में चल रहे जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से sangharshsamvad@gmail.com पर साझा करें। के आंदोलन के बारे में जानकारियाँ मिलती रहें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें