नवलगढ़ की भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की ओर से 7 दिसंबर 2011 को नवलगढ़ में तहसील मुख्यालय पर विशाल धरना आयोजित किया गया। इस धरने से पूर्व संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने टीम बनाकर क्षेत्र में किसान जागरण अभियान चलाया। प्रभावित 18 गांवों का दौरा कर नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं। इन नुक्कड़ सभाओं में किसानों व क्षेत्र की जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से भी लोगों को अवगत कराया गया। किसान व महिलाएं बड़ी संख्या में रैली के रूप में - ‘जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे। ‘बाँगड़ बिड़ला मुर्दाबाद’, ‘सीमेंट फैक्ट्रियां वापस जाओ’, ‘राजकीय दमन नहीं चलेगा’ आदि नारे लगाते हुए धरने स्थल पर पहुंचे।
धरने स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए जन संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक व नवलगढ़ भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति के संयोजक दीपसिंह शेखावत ने बताया कि हमारे इस संघर्ष के धरने को चलते 466 दिन हो गये हैं। आज बड़ी तादात में किसान और बहिनों ने सम्मिलित होकर यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र का किसान अपनी उपजाऊ जमीन को किसी भी कीमत पर देने को तैयार नहीं है। उन्होंने इस जमीन बचाओ संघर्ष में सहयोग देने वाले सभी लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि नवलगढ़ क्षेत्र में किसानों के इस संघर्ष के चलते ही आज तक कोई भी सीमेंट कंपनी का मालिक क्षेत्र में जमीन का अधिग्रहण नहीं कर पाया। किसान अब जाग गये हैं और कंपनियों व उनके दलालों द्वारा दिये जा रहे प्रलोभनों में नहीं आ रहे हैं। इसलिए सरकार एवं कंपनियों के आकाओं में बहुत छटपटाहट है कि यह धरना उठ जाये। लेकिन किसानों का यह जमीन बचाने का संघर्ष आज से और मजबूत होगा। उन्होंने अपना भाषण यह नारा लगाते हुए समाप्त किया कि ‘जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे’।
धरने को पी.यू.सी.एल. की कविता श्रीवास्तव, पी.डी.एफ.आई. के शशीकांत, किसान सभा के सुभाष बुगालिया, अखिल भारतीय किसान महासभा के ओमप्रकाश झारोडा, शेखावटी किसान मंच के कामरेड श्रीरामदूत और भगतसिंह विचार मंच झुंझनू के बजरंगलाल एडवोकेट जयपुर से आये मजदूर नेता हरकेश बुगालिया आदि ने संबोधित किया। -हरकेश बुगालिया
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