दिल्ली : जैतापुर संघर्ष के समर्थन में विरोध-प्रतिरोध

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री जयराम रमेश के किसी भी हाल में जैतापुर में न्यूक्लियर पॉवर पार्क बनाने के बयान के बाद आक्रोशित जैतापुर के लोग रत्नागिरी के रास्तों पर उतर आये। जापान के फुकुशिमा में हुए हादसे के बाद केन्द्रीय मंत्री का यह बयान लोगों के आक्रोश का कारण बना जिसे दबाने के लिए महाराष्ट्र सरकार पुलिस बल का प्रयोग करते हुए गोलीबारी पर उतर आयी। इस गोलीबारी में एक आदमी के मौत के साथ साथ 8 आदमी घायल हो गये, इस हिंसा को अकेले नहीं देखा जाना चाहिए। पिछले एक साल से महाराष्ट्र सरकार जैतापुर में किसानों, मछुआरों एवं अन्य ग्रामीण मजदूरों पर अपने हिंसात्मक आचरण बरकरार रखे हुए हैं जो पिछले छह साल से जैतापुर में न्युक्लियर पॉवर पार्क के खिलाफ अपनी लड़ाई अहिंसात्मक तरीके से लड़ रहे हैं।
इस हिंसा के विरोध में दिल्ली में विभिन्न जन संगठनों/संस्थाओं ने मिलकर जन्तर मन्तर पर प्रदर्शन किये जिसमें मुख्य मांगे कुछ इस प्रकार थीं:-

1. रत्नागिरी समेत अन्य जगहों में प्रस्तावित न्युक्लियर पावर प्लांट को रद्द किया जाए।
2. 18 अप्रैल को हुए पुलिस गोलीबारी की न्यायिक जांच की जाय।
3. उन पुलिस अफसरों/प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ भी कार्यवाही की जाय जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी का आदेश दिया।
4. कार्यकर्ताओं, गांव वालों पर चल रहे फर्जी मुकदमों को वापिस लिया जाय।

इसके कुछ दिन बाद जब विभिन्न जन संघर्षों, शांतिकामी कार्यकर्ता संगठनों एवं विभिन्न जन आन्दोलनों द्वारा तारापुर से जैताुपर तक यात्रा आयोजित की गयी तो किसी न किसी बहाने से महाराष्ट्र सरकार इस यात्रा को रोकती गयी। कभी पुलिस थाने में यात्रियों को बंद किया गया तो कभी किसी दूसरी जगह पुलिस ने रोक लिया। इन कार्यवाहियों के खिलाफ यात्रा को सही ढंग से जैतापुर तक पहुंचाने की मांग करते हुए दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के सामने फिर लोग इकट्ठा हुए एवं महाराष्ट्र सदन में रेजिडेन्स कमिशनर को अपना मांग पत्र सौंपा गया तथा प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को निरस्त करने की माँग की गयी।

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