झारखण्ड में काठीकुण्ड (दुमका) की पुलिस फायरिंग की घटना के बाद सामाजिक संगठन ‘जुड़ाव’ पर कानूनी गैर कानूनी शिकंजा कसने, छत्तीसगढ़ में वनवासी चेतना आश्रम को पूरी तरह से बुलडोज करके ध्वस्त करने के बाद अब पुलिस अधीक्षकों के जरिये सामाजिक संगठनों के बारे में पूरी जानकारी मांगी जा रही है। नियमतः सभी सामाजिक संगठन प्रति वर्ष अपनी गतिविधियों तथा आय-व्यय का विवरण निबंधक सोसाइटीज़ को सौंपते हैं। परंतु पुलिस के द्वारा मांगी जा रही यह सूचनायें कहीं न कहीं सामाजिक संगठनों पर पुलिस के कसते शिकंजे की मिसाल हैं।
इस संदर्भ में रायपुर (छ.ग.) स्थित एक संगठन को भेजा गया पुलिसिया पत्र कुछ इस प्रकार हैः-
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