बसेंगे चीते, उजड़ेंगे 37 आदिवासी गांव दूसरी बार

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा ब्लाक के वे 37 आदिवासी गांव दुबारा उजाड़े जायेंगे, जो आज से 45 साल पहले राणा प्रताप सागर बनाने के लिए उजाड़े गये आदिवासियों को बसने के लिए दिये गये थे। इस बार इनके विस्थापन का कारण है नेशनल पार्क की स्थापना।

इन गांवों के निवासी दुबारा उजड़ने को तैयार नहीं हैं तथा अपने जमीन, घर, वन तथा अस्तित्व बचाने के लिए एकजुट संघर्ष कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर कार्यरत सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद उनके संघर्षों में भागीदार हैं।

इस बीच मार्च 2011 के आखिरी दिनों में राजस्थान के मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री में इस बात पर सहमति बनी है कि यह इलाका हरी भरी घास वाला है अतएव चीतों की बसाहट के लिए बहुत ही अच्छा है। अतएव इस नेशनल पार्ककी स्थापना जल्दी से जल्दी की जाय।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने राजस्थान सरकार से यह भी कहा है कि जैसलमेर-बाड़मेर जिले में 3162 वर्ग कि.मी. में फैले डेजर्ट पार्ककी पर्यावरण मंजूरी हेतु आवश्यक कागजात को अग्रसारित किया जाय।



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